भारतीय रिजर्व बैंक ने देश के तीन बैंकों- भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को फिर से घरेलू प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंक (डी-एसआईबी) के रूप में नॉमिनेट किया है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि ये तीनों बैंक 2024 में भी घरेलू प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंक बने रहेंगे। पीटीआई की खबर के मुताबिक, रिजर्व बैंक ने बुधवार को डी-एसआईबी की लिस्ट जारी की। लिस्ट में शामिल होने के लिए बैंकों को उस बकेट के मुताबिक, पूंजी संरक्षण बफर के अलावा उच्च कॉमन इक्विटी टियर 1 (सीईटी 1) बनाए रखने की जरूरत होती है जिसके तहत इसे वर्गीकृत किया गया है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) बकेट 4 में
खबर के मुताबिक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) बकेट 4 में बना हुआ है, जिसके लिए देश के सबसे बड़े बैंक को लिस्ट के मुताबिक 0. 80 प्रतिशत का अतिरिक्त सीईटी 1 रखना होगा। एचडीएफसी बैंक, जो निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा ऋणदाता है, बकेट 2 में बना हुआ है, जिसके तहत उसे 0. 40 प्रतिशत अधिक सीईटी 1 बनाए रखना होगा।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि एसबीआई और एचडीएफसी बैंक के लिए उच्च डी-एसआईबी अधिभार 01 अप्रैल, 2025 से लागू होगा। इसलिए, 31 मार्च, 2025 तक, एसबीआई और एचडीएफसी बैंक पर लागू डी-एसआईबी अधिभार क्रमशः 0. 60 प्रतिशत और 0. 20 प्रतिशत होगा।
31 मार्च, 2024 तक के डेटा पर आधारित
आईसीआईसीआई बैंक को बकेट 1 में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें दूसरे सबसे बड़े निजी क्षेत्र के ऋणदाता को सीईटी 1 बफर में अतिरिक्त 0. 20 प्रतिशत बनाए रखना होगा। आरबीआई ने कहा कि वर्गीकरण 31 मार्च, 2024 तक बैंकों से एकत्र किए गए डेटा पर आधारित है। आरबीआई ने पहली बार 2014 में डी-एसआईबी से निपटने के लिए रूपरेखा की घोषणा की थी और 2015 और 2016 में एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक को सूची में टैग किया था। साल 2017 में, इसने एचडीएफसी बैंक को दूसरे दो बैंकों के साथ सूची में जोड़ा।
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