मुकेश अंबानी पर जुर्माना लगाने का सेबी का आदेश रद्द, जानें क्या है पूरा मामला
नवंबर 2007 में पूर्ववर्ती रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड (आरपीएल) के शेयरों में कथित हेराफेरी से संबंधित मामले में मुकेश अंबानी और दो अन्य कंपनियों पर जुर्माना लगाया गया था।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और दो अन्य कंपनियों को बड़ी राहत मिली है। प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने सोमवार को इन पर जुर्माना लगाने का बाजार नियामक सेबी का आदेश सोमवार को रद्द कर दिया। नवंबर 2007 में पूर्ववर्ती रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड (आरपीएल) के शेयरों में कथित हेराफेरी से संबंधित मामले में यह जुर्माना लगाया गया था। भाषा की खबर के मुताबिक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जनवरी, 2021 में जुर्माना लगाने का आदेश दिया था। सेबी ने आरपीएल मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) पर 25 करोड़ रुपये, कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अंबानी पर 15 करोड़ रुपये, नवी मुंबई एसईजेड प्राइवेट लिमिटेड पर 20 करोड़ रुपये और मुंबई एसईजेड लिमिटेड पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
कंपनियां जो जुर्माने के दायरे में आईं
जुर्माने की जद में आने वाली दोनों कंपनियां- नवी मुंबई एसईजेड और मुंबई एसईजेड के प्रमोटर आनंद जैन हैं जो पहले रिलायंस समूह का हिस्सा रह चुके हैं। इस आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई के बाद सैट ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया। न्यायाधिकरण ने अपने 87 पन्नों के आदेश में अंबानी, नवी मुंबई एसईजेड और मुंबई एसईजेड के खिलाफ पारित सेबी के आदेश को रद्द कर दिया। इसके साथ ही न्यायाधिकरण ने सेबी को कहा कि अगर जुर्माने की रकम जमा करा दी गई है तो वह उसे लौटा दे।
क्या है पूरा मामला
मुकेश अंबानी और दो अन्य कंपनियों यह मामला नवंबर, 2007 में नकद और फ्यूचर सेगमेंट में आरपीएल शेयरों की खरीद-बिक्री से संबंधित है। इसके पहले मार्च, 2007 में आरआईएल ने अपनी सब्सिडियरी आरपीएल में लगभग पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था। इस सब्सिडियरी का साल 2009 में आरआईएल में विलय कर दिया गया था। सैट ने कहा कि आरआईएल के निदेशक मंडल ने इस विनिवेश पर फैसला लेने के लिए खास तौर पर दो लोगों को ऑथोराइज किया था। इसके अलावा यह नहीं कहा जा सकता है कि कंपनियों के हरेक कानूनी उल्लंघन के लिए वास्तव में प्रबंध निदेशक ही जिम्मेदार है।
फैसले में क्या कहा गया
अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कहा कि आरआईएल के निदेशक मंडल की दो मीटिंग के ब्योरे से मिले ठोस सबूतों से साबित होता है कि अपीलकर्ता की जानकारी के बिना दो सीनियर अधिकारियों ने विवादित सौदे किए थे। ऐसे में (अंबानी पर) कोई जवाबदेही नहीं बनती है। न्यायाधिकरण के मुताबिक, सेबी यह साबित करने में भी नाकाम रही कि अंबानी कंपनी के दो वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किए गए शेयर लेनदेन में शामिल थे। नियामक ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने 29 नवंबर, 2007 को कारोबार के आखिरी 10 मिनट में नकद सेगमेंट में बड़ी संख्या में आरपीएल शेयरों को डंप करके नवंबर 2007 आरपीएल वायदा अनुबंध के निपटान मूल्य में हेराफेरी की थी।