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Hindi News पैसा बिज़नेस ग्लोबल वार्मिंग के कहर से बचाएगा 'इंफ्लेक्टर विंडो', देसी Startup लेकर आया यह प्रोडक्ट

ग्लोबल वार्मिंग के कहर से बचाएगा 'इंफ्लेक्टर विंडो', देसी Startup लेकर आया यह प्रोडक्ट

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नास ने अंतरिक्ष यात्री के लिए इस प्रोडक्ट को सबसे पहले डेवलप किया था।

<p>Inflector window</p>- India TV Paisa Image Source : FILE Inflector window

दुनियाभर में ग्लोबल वार्मिंग का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के चलते तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा और लू के खतरे बढ़ गए हैं। इस भयानक खतरे को देखते हुए राजस्थान के झुंझुनू जिले के संदीप चौधरी ने Startup इंफ्लेक्टर इंडिया की शुरुआत की है। इस स्टार्टअप के जरिये संदीप नासा द्वारा बनाए गए इंफ्लेक्टर के जरिए भारत में ग्लोबल वार्मिंग से बचने की मुहिम चला रहे हैं। आइए जानते हैं कि 'इंफ्लेक्टर कांच विंडो' क्या है और यह कैसे काम करता है। 

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नास ने बनाया था

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नास ने अंतरिक्ष यात्री के लिए इस प्रोडक्ट को सबसे पहले डेवलप किया था। नासा ने अंतरिक्ष यात्री के सूट को अधिक गर्मी से बचाने के लिए पहली बार रेडिएंट हीट बैरियर विकसित और डिजाइन किया था, जिसे 'इंफ्लेक्टर' कहते हैं। आसान शब्दों में कहें तो इन्फ्लेक्टर एक सोलर हीट बैरियर है। इसकी कामयाबी के बाद 90 के दशक में इसका कॉर्मशियल इस्तेमाल शुरू हुआ। इसका पेटेंट अभी भी नासा के पास है और दुनिया के 60 से अधिक देश अलग-अलग तरीके से इन्फ्लेक्टर का इस्तेमाल करते हैं। संदीप चौधरी इसी प्रोडक्ट को अपने स्टार्टअप इंफ्लेक्टर इंडिया के जरिये प्रचार और प्रसार कर रहे हैं। 

कैसे काम करेगा इन्फ्लेक्टर विंडो

संदीप चौधरी के अनुसार, सूर्य की किरणों से निकली उष्मा 65 से 80 फीसदी खिड़की के जरिये आता है। उन्होंने इस पर काफी काम किया है और अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचते हुए इस ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए इन्फ्लेक्टर विंडो शीट लॉन्च किया है। संदीप चौधरी के पास भारत, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और दुबई के राइट्स हैं। जन्द ही संदीप इन्फ्लेक्टर विंडो को दो कांच के अंदर इसे फिक्स करने का काम शुरू करेंगे, जिससे कांच की बड़ी-बड़ी इमारतों में इसको लगाया जा सके। इससे ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को कम करने में मदद मिलेगी।

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