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Hindi News पैसा बिज़नेस Rupee Vs dollar: रुपये के लुढ़कने पर RBI गवर्नर ने कहा, येन, यूरो, स्विस फ्रैंक और पौंड के मुकाबले कम टूटा रुपया

Rupee Vs dollar: रुपये के लुढ़कने पर RBI गवर्नर ने कहा, येन, यूरो, स्विस फ्रैंक और पौंड के मुकाबले कम टूटा रुपया

Rupee Vs dollar: आरबीआई गवर्नर ने कहा कि विदेशी मुद्रा की अप्रतिबंधित उधारी से परेशान होने की जरूरत नहीं है।

Rupee Vs dollar- India TV Paisa Image Source : FILE Rupee Vs dollar

Highlights

  • डॉलर के मुकाबले हाल ही में रुपया टूटकर 80 के पार चला गया था
  • केंद्रीय बैंक रुपये में तेज उतार-चढ़ाव को बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेगा
  • आज रुपया सात पैसे कमजोर होकर 79.92 प्रति डॉलर पर खुला

Rupee Vs dollar: भारतीय रुपया डॉलर के सामने लड़खड़ा रहा है। जोरदार गिरावट के बाद इसी हफ्ते रुपया डॉलर के मुकाबले 80 के स्तर को पार ​कर गया है। इसके अभी 82 रुपये तक गिरने की आशंका व्य​क्त की जा रही है। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों की मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपया अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति में है। गौरतलब है कि हाल के समय में जापानी येन, यूरो, स्विस फ्रैंक और ब्रिटिश पौंड का डॉलर के मुकाबले कहीं ज्यादा अवमूल्यन हुआ है। इन मुद्राओं के मुकाबले रुपये में कम गिरावट है। 

आरबीआई के कदमों से राहत मिली 

गौरतलब है कि घरेलू मुद्रा कुछ दिन पहले ही 80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गई थी। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक रुपये में तेज उतार-चढ़ाव और अस्थिरता को बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि आरबीआई के कदमों से रुपये के सुगम कारोबार में मदद मिली है। दास ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक बाजार में अमेरिकी डॉलर की आपूर्ति कर रहा है और इस तरह बाजार में नकदी (तरलता) की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित कर रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आरबीआई ने रुपये के किसी विशेष स्तर का लक्ष्य तय नहीं किया है। 

सरकार जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप करेगी 

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि विदेशी मुद्रा की अप्रतिबंधित उधारी से परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ऐसे लेनदेन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां कर रही हैं और सरकार जरूरत पड़ने पर इसमें हस्तक्षेप कर सकती है और मदद भी दे सकती है। दास ने कहा कि मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के लिए 2016 में अपनाए गए मौजूदा ढांचे ने बहुत अच्छा काम किया है, उन्होंने जोर देकर कहा कि अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र के हित की खातिर यह जारी रहना चाहिए।

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