Rupee Hits All Time Low: रुपया 46 पैसे गिरकर 78.83 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड लो पर पहुंचा, जानें वजह
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 78.53 प्रति डॉलर पर कमजोर खुला था।
Rupee Hits All Time Low: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसा लग रहा है कि डॉलर के मुकाबले रुपया गिरावट के नये रिकॉर्ड बनाने में लगा है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में मंगलवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 46 पैसे औंधे मुंह गिरकर 78.83 प्रति डॉलर (अस्थायी) के नए सर्वकालिक निचले स्तर तक लुढ़क गया। गिरावट का कारण विदेशी पूंजी की बाजार से सतत निकासी और कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी है।
कमजोर खुला था रुपया
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 78.53 प्रति डॉलर पर कमजोर खुला और कारोबार के अंत में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 46 पैसे गिरकर 78.83 रुपये प्रति डॉलर के अपने नये सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान रुपया 78.85 प्रति डॉलर के नये ऐतिहासिक निचले स्तर तक गया। रुपये में कमजोरी कच्चे तेल में तेजी और विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजार से पैसा निकालने से आ रही है। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.89 प्रतिशत बढ़कर 117.26 डॉलर प्रति बैरल हो गया। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने सोमवार को 1,278.42 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
डॉलर हो रहा मजबूत
शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा के शोध विश्लेषक, अनुज चौधरी ने कहा, कमजोर घरेलू शेयर बाजार और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बीच भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अबतक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली ने भी रुपये पर दबाव डाला।" इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.01 प्रतिशत की तेजी के साथ 103.95 पर आ गया।
रुपये में कमजोरी का क्या असर होगा
भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स आयात करता है। अगर रुपया कमजोर होगा तो आयात करने के लिए अधिक पैसे देने होंगे। इसके चलते भारतीय बाजार में इन वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी होगी। वहीं, कच्चे तेल का आयात भी भारत करता है। इससे कच्चा तेल का आयात भी महंगा होगा। यानी आने वाले दिनों में कच्चे तेल के दाम बढ़ सकते हैं। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। इसका भुगतान भी डॉलर में होता है और डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी, इसके असर से हर जरूरत की चीज पर महंगाई की और मार पड़ेगी।