खाद्य मंत्रालय चीनी के उत्पादन, भंडारण और मूल्य निर्धारण से संबंधित लगभग छह दशक पुराने विनियमन को प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति के अनुरूप बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इस संबंध में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने ‘चीनी (नियंत्रण) आदेश, 2024’ का मसौदा जारी किया है। मंत्रालय ने उत्पादन प्रक्रिया में तकनीकी प्रगति के कारण चीनी (नियंत्रण) आदेश 1966 की समीक्षा करने का प्रस्ताव किया है।
नियमों में सुधार की जरूरत
मंत्रालय ने मसौदा जारी करते हुए कहा, ‘‘चीनी क्षेत्र में कई बदलाव हुए हैं, जिसके कारण मौजूदा चीनी (नियंत्रण) आदेश, 1966 में सुधार की आवश्यकता है।’’ मसौदा आदेश में सरकार को चीनी के उत्पादन को विनियमित करने के साथ-साथ उत्पादकों और डीलरों द्वारा इसकी बिक्री, भंडारण और निपटान को प्रतिबंधित करने की शक्ति प्रदान की गई है। मंत्रालय ने मसौदे पर 23 सितंबर तक हितधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।
मसौदे में क्या कहा गया?
चीनी के मूल्य को विनियमित करने की शक्ति के बारे में मसौदे में कहा गया, ‘‘केंद्र सरकार बिक्री के लिए चीनी के मूल्य के संबंध में कोई भी आदेश जारी करते समय गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी), गन्ने से चीनी के उत्पादन के लिए अनुमानित और औसत परिवर्तन लागत, चीनी उत्पादन की प्रक्रिया में उत्पन्न उप-उत्पादों से औसत राजस्व प्राप्ति को ध्यान में रखेगी।” मसौदे में कहा गया कि केंद्र सरकार या राज्य सरकार आदेश जारी कर सकती है कि उत्पादक को जारी लाइसेंस में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार ही गन्ने से चीनी और उसके उप-उत्पादों का निर्माण किया जाना चाहिए। इसमें केंद्र सरकार को उत्पादकों और डीलरों द्वारा चीनी की बिक्री, भंडारण और निपटान को प्रतिबंधित करने की शक्ति भी निर्दिष्ट की गई है।
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