नयी दिल्ली। साख निर्धारण करने वाली एजेंसी फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों से एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) और छोटी राशि के कर्ज की वसूली में देरी हो सकती है और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफआई) की परिसंपत्ति गुणवत्ता जोखिम बढ़ सकता है।
फिच का अनुमान है कि मार्च 2022 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि 8.4 प्रतिशत रहेगी। रेटिंग एजेंसी ने साथ ही कहा कि 2022 में भारतीय एनबीएफआई की संपत्ति की गुणवत्ता बिगड़ सकती है, जो मुख्य रूप से एमएसएमई तथा सूक्ष्मवित्त यानी छोटी राशि की उधारी में देरी के चलते है।
भारतीय रिजर्व बैंक की दिसंबर 2021 में प्रकाशित वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में भी एमएसएमई के साथ ही सूक्ष्मवित्त संस्थानों में दबाव के उभरते संकेतों का उल्लेख किया गया था। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि ऐसे कर्जदार आम तौर पर सीमित नकदी बफर और पूंजी पर काम करते हैं, और महामारी के दौरान वे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
फिच ने कहा कि भारत में ओमीक्रोन स्वरूप का प्रकोप बढ़ने से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों और सूक्ष्मवित्त उधारी की वसूली में देरी हो सकती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 2,64,202 नए मामले आए हैं, जो 239 दिनों में सबसे अधिक है। इन नए मामलों के आने से संक्रमितों की संख्या बढ़कर 3,65,82,129 हो गई है। इसमें इस घातक वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के 5,753 मामले शामिल हैं।
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