हार गए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग? ग्लोबल कॉम्पटीशन के बीच इकोनॉमी की रिकवरी को बताया 'जटिल'
चीन में पिछले साल वृद्धि दर तीन प्रतिशत तक घट गई थी, जो पिछले 50 वर्षों में दूसरी सबसे कम वृद्धि है।
क्या चीनी राष्ट्रपति ने भारत जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के सामने घुटने टेक दिए हैं? क्या कोरोना संकट के चलते खस्ताहाल हो चुकी चुनी अर्थव्यवस्था की रिकवरी की उम्मीद अब धूमिल हो रही है? चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ताजा बयानों से कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक ताजा बयान में कहा है कि निवेश आकर्षित करने के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ने से चीन की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की मुहिम जटिल हो गई है। इसके साथ ही जिनपिंग ने कहा कि बड़े आर्थिक तथा वित्तीय जोखिमों की पहचान और समय रहते उनका समाधान करना भी जरूरी है। उन्होंने जोखिम वाले क्षेत्रों के रूप में प्रापर्टी बाजार और स्थानीय सरकारों पर बढ़ते कर्ज का खासतौर से जिक्र किया।
चीन की आधिकारिक मीडिया में 'देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति' विषय पर प्रकाशित एक लेख में जिनपिंग ने कहा कि विदेशी निवेश को आकर्षित करने और उनका सही इस्तेमाल करने के लिए अधिक प्रयास किए जाने चाहिए। चीन में पिछले साल वृद्धि दर तीन प्रतिशत तक घट गई थी, जो पिछले 50 वर्षों में दूसरी सबसे कम वृद्धि है। जिनपिंग ने कहा कि 2023 में आर्थिक मोर्चे पर कई जटिलताएं हैं और इसे पुनर्जीवित करने के प्रयासों पर ध्यान देना चाहिए।
चीन से बाहर निकल रही कंपनियां
बता दें कि वर्ष 2017 में एप्पल ने आईफोन एसई के निर्माण के साथ भारत में आईफोन निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा था, जहां सन 2022 तक यहां आईफोन के पुराने मॉडल के फोन ही बनते थे। इसके बाद सितम्बर 2022 में आईफोन ने आईफोन-14 को भारत में असेम्बल करना शुरू किया, जिसके बाद इसके बढ़ने की संभावनाओं को बल मिला है। वहीं इन दिनों चीन के हालात काफी खराब चल रहें हैं, ऐसे में वहां से कंपनियों ने अपना सब कुछ समेटना शुरू कर दिया है, जिसका फायदा भारत को मिलता दिखाई दे रहा है।
चीन की बादशाहत हो रही खत्म
दूसरी ओर चीन में हालातों के चलते एपल के मैनुफैक्चरिंग हब के खोने का खतरा बढ़ा है, ऐसे में Apple इन्हें शिफ्ट करने पर विचार कर रहा है, जहां वह वियतनाम का रुख भी कर सकते हैं। इसके पहले चीन 47 % प्रतिशत Apple के उत्पादों को बनाया करता था, लेकिन यह आकंड़ा धीरे-धीरे गिरा है जहां साल 2020 में यह 41 % प्रतिशत और साल 2021 में 36 % प्रतिशत की भागीदारी पर जा पहुंचा था। वहीं एप्पल फोन के साथ- साथ सैमसंग और अन्य ब्रांड भी धीरे-धीरे चीन से मुंह मोड़ रहे हैं, ऐसे में चीन की बादशाहत अब खत्म होते दिखाई दे रही है।