भारतीय रिजर्व बैंक ने अनियमित लोन प्रोसेस के कारण महाराष्ट्र के नागपुर स्थित जैवरॉन फाइनेंस का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट रद्द कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने सोमवार को एक बयान में कहा कि जैवरॉन फाइनेंस ने अपने डिजिटल लोन ऑपरेशन्स में वित्तीय सेवाओं की ‘आउटसोर्सिंग’ में रिजर्व बैंक के आचार संहिता के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है। इसमें कर्ज मूल्यांकन, कर्ज वितरण, ब्याज दर तय करने के साथ-साथ केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) वैरिफिकेशन प्रोसेस जैसे अपने प्रमुख फैसले लेने वाले कामों को ‘आउटसोर्स’ किया गया है।
आरबीआई के कई नियमों का पालन करने में विफल रहा जैवरॉन फाइनेंस
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि कंपनी न केवल लोन सर्विस प्रोवाइडर (एलएसपी) पर उनकी क्षमता, सुरक्षा और आंतरिक नियंत्रण, अंतिम लाभकारी मालिकों, राष्ट्रीयता एवं शेयरधारिता प्रतिरूप का आकलन करने के लिए उचित प्रक्रिया अपनाने में विफल रही, बल्कि ग्राहक आंकड़ों की गोपनीयता या सुरक्षा को सुरक्षित करने के लिए एलएसपी द्वारा तैनात सुरक्षा गतिविधियों और नियंत्रण प्रक्रियाओं की आवधिक समीक्षा करने में भी विफल रही।
नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन का कारोबार नहीं कर पाएगी कंपनी
रिजर्व बैंक ने कहा, ‘‘कंपनी ने अपने ग्राहकों को स्थानीय भाषा में लोन एग्रीमेंट और एक्सेपटेंस लेटर की कॉपी उपलब्ध न कराकर निष्पक्ष व्यवहार संहिता पर रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है।’’ रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट रद्द होने के बाद जैवरॉन फाइनेंस नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन (एनबीएफआई) का कारोबार नहीं कर सकती।
बैंकों को फ्रीज खातों की संख्या कम करने के आदेश
एक अन्य मामले में आरबीआई ने देश के सभी बैंकों से कहा है कि वे जरूरी कदम उठाकर निष्क्रिय या ‘फ्रीज’ किए गए खातों की संख्या को ‘तत्काल’ कम करें और तिमाही आधार पर इनकी संख्या के बारे में भी जानकारी दें। ऐसे खातों में पड़ी धनराशि की बढ़ती मात्रा पर चिंता व्यक्त करते हुए आरबीआई ने कहा कि उसके पर्यवेक्षी निरीक्षणों से कई समस्याओं का पता चला है, जिसके कारण खाते निष्क्रिय हो रहे हैं या ‘फ्रीज’ हो रहे हैं।
पीटीआई इनपुट्स के साथ
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