अप्रैल के सर्वोच्च स्तर के बाद से महंगाई की दर में कमी आ रही है। जुलाई महीने में महंगाई की दर में और कमी आई, लेकिन इसके बावजूद महीने के पहले सप्ताह मे ंरिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी कर आम आदमी को झटका दिया है। आखिर महंगाई घटने के बावजूद भी रिजर्व बैंक गवर्नर ने ब्याज दरों में कटौती क्यों नहीं की, इस बात का खुलासा मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक के ब्यौरे के सामने आने के बाद हुआ है।
एमपीसी के ब्यौरे में सामने आया है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक में मुद्रास्फीति को ‘अस्वीकार्य और असंतोषजनक’ रूप से ऊंचा बताते हुए रेपो दर में आधा प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव किया था। रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का ब्योरा जारी किया गया।
अन्य सदस्यों ने भी दर में बढ़ोत्तरी की सिफारिश की
बैठक में एमपीसी के अन्य सदस्यों ने भी इसी तरह की राय जताई थी। एमपीसी की तीन से पांच अगस्त तक हुई बैठक में प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत करने का फैसला किया गया था।
बैठक में दास का बयान
दास ने कहा था कि नीतिगत उपायों से मौद्रिक नीति की विश्वसनीयता मजबूत होगी और मुद्रास्फीतिक संभावनाएं कम होंगी। मुद्रास्फीति की स्थिति और आर्थिक गतिविधियों के आधार पर हम परिस्थिति अनुसार सूझबूझ के साथ उपयुक्त कदम उठाएंगे।
जानिए अन्य सदस्यों की राय
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा का कहना था कि मौद्रिक नीति कार्रवाई को पहले किए जाने से मुद्रास्फीतिक दबाव पर काबू पाया जा सकता है और महंगाई के लक्ष्य के साथ तालमेल बैठाया जा सकता है। इससे मध्यम अवधि में वृद्धि में नुकसान के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
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