Reliance Group News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती देने वाली सरकार की याचिका खारिज कर दी है। न्यायाधिकरण ने केजी बेसिन में सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी के क्षेत्रों से गैस रिलायंस इंडस्ट्रीज के क्षेत्र में जाने के विवाद मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज के पक्ष में फैसला सुनाया था। सरकार ने ओएनजीसी के परिचालन वाले केजी-डी5 ब्लॉक से निजी कंपनी के निकटवर्ती केजी-डी6 क्षेत्र में जाने वाली गैस से ‘गलत तरीके से एक की कीमत पर दूसरे को हुए लाभ’ को लेकर रिलायंस पर 1.55 अरब डॉलर का अस्थायी जुर्माना लगाया था। रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके ब्रिटेन के भागीदार बीपी पीएलसी से अतिरिक्त पेट्रोलियम लाभ को लेकर 17.5 करोड़ डॉलर की मांग की गयी थी रिलायंस-बीपी ने मध्यस्थता न्यायाधिकरण के समक्ष जुर्माने को चुनौती दी थी।
कंपनी के हक में आया है Delhi High Court का फैसला
न्यायाधिकरण ने आदेश में कहा था कि दोनों कंपनियों ने अपने क्षेत्र में काम किये और गलत तरीके से एक की कीमत पर दूसरे को लाभ का सवाल ही नहीं उठता। सरकार ने इस आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी। अदालत ने न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा। अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर मध्यस्थता न्यायाधिकरण के तथ्यात्मक निष्कर्ष’ में हस्तक्षेप की गुंजाइश नजर नहीं आती। तथ्यात्मक निष्कर्ष पूरी तरह से तर्कसंगत है।
बता दें कि यह विवाद 2013 में सामने आया था। ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने 22 जुलाई 2013 को हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय को पत्र के जरिये सूचित किया कि ऐसा जान पड़ता है कि रिलायंस ब्लॉक और ओएनजीसी ब्लॉक का ‘गैस पूल’ आपस में जुड़े हैं और दोनों ब्लॉक के बीच गैस के जाने की आशंका है।
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