रिलायंस कैपिटल की दूसरी नीलामी में फिर फंसा पेच, टॉरेंट ग्रुप और हिंदुजा समूह हैं आमने-सामने
न्यायमूर्ति श्याम बाबू गौतम और न्यायमूर्ति प्रदीप नरहरि देशमुख की अगुवाई वाले न्यायाधिकरण ने ‘चुनौती तंत्र’ की तारीख बढ़ाकर 23 जनवरी कर दी है।
रिलायंस कैपिटल की दूसरी नीलामी में फिर पेच फंसा गया है। दरअसल, राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने बुधवार को ऋणदाताओं से बृहस्पतिवार को प्रस्तावित रिलायंस कैपिटल की दूसरी नीलामी को 23 जनवरी तक टालने के लिए कहा है क्योंकि अभी तक दोनों पक्षों की बहस पूरी नहीं हुई है। आपको बाता दें कि रिलायंस कैपिटल की खरीदने की दौड़ में टॉरेंट ग्रुप और हिंदुजा समूह आमने-सामने हैं। अनिल अंबानी प्रवर्तित रिलायंस कैपिटल की पहले चरण की नीलामी की विजेता कंपनी टॉरेंट इन्वेस्टमेंट ने 12 मार्च को एनसीएलटी की मुंबई पीठ में ‘चुनौती तंत्र’ के लिए ऋणदाताओं के प्रस्ताव पर रोक लगाने की मांग की थी, जिस पर 19 जनवरी को सुनवाई होनी थी।
23 जनवरी को कार्ट ने सुनवाई की तारीख
न्यायमूर्ति श्याम बाबू गौतम और न्यायमूर्ति प्रदीप नरहरि देशमुख की अगुवाई वाले न्यायाधिकरण ने ‘चुनौती तंत्र’ की तारीख बढ़ाकर 23 जनवरी कर दी है। उस समय तक सभी पक्षों की सुनवाई पूरी हो जाएगी। इस मामले पर बृहस्पतिवार को सुनवाई जारी रहेगी। प्रशासक की ओर से रवि कदम ने कहा कि ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) के पास नई समाधान योजना लाने का अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व की सभी बोलियां अभी तक वैध हैं, लेकिन सीओसी किसी बेहतर प्रस्ताव का इंतजार कर रही है।
पहले दौर की बोली से संतुष्ट नहीं
कर्ज में फंसी रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) पहले दौर की नीलामी में लगाई गई बोली से संतुष्ट नहीं है और वह नीलामी का दूसरा दौर आयोजित करने का मन बना रही है। इस प्रस्ताव पर कर्जदाताओं के मतदान का दौर मंगलवार को पूरा होने की उम्मीद है। गत 21 दिसंबर को संपन्न पहले दौर की नीलामी में टॉरेंट समूह और हिंदुजा समूह ने बोलियां लगाई थीं। इसमें टॉरेंट समूह ने सर्वाधिक 8,640 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी जबकि हिंदुजा समूह की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स ने 8,110 करोड़ रुपये की शुरुआती बोली लगाई थी। हालांकि ये दोनों बोलियां भी रिलायंस कैपिटल के परिसमापन मूल्य 13,000 करोड़ रुपये से कम ही थीं। इसी वजह से कंपनी के कर्जदाता नए सिरे से नीलामी करने के बारे में सोच रहे हैं। इसमें 9,500 करोड़ रुपये की न्यूनतम आरंभिक कीमत रखे जाने की संभावना है। टॉरेंट समूह ने दूसरे दौर की नीलामी करने का अनुमोदन करने से सीओसी को रोकने की मांग एनसीएलटी से की है। इसकी सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पी एन देशमुख और श्याम बाबू गौतम की पीठ ने रोक लगाने की मांग खारिज कर दी।