सच में अमीर हो गए लोग! सस्ते घर और सस्ती गाड़ियां नहीं खरीद रहे, सामने आया यह चौंकाने वाला आंकड़ा
जिन शहरों में सर्वेक्षण किया गया, उनमें मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता शामिल हैं।
क्या देश में अमीर लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है? आंकड़ों पर नजर डाले तो हकीकत तो यही लग रही है। रियल एस्टेट सलाहकार कंपनी एनारॉक की रिपोर्ट के अनुसार, देश की सात प्रमुख शहरों में 40 लाख रुपये से कम कीमत वाले किफायती घरों की बिक्री पहली छमाही (जनवरी-जून, 2023) में 18 प्रतिशत गिरावट के साथ 46,650 इकाई रह गई है। पिछले साल जनवरी-जून की अवधि में 40 लाख रुपये से कम कीमत के 57,060 घर बिके थे। वहीं दूसरी ओर मर्सिडीज, BMW और ऑडी जैसी लग्जरी कारों के प्रति दीवानगी बढ़ी है। इस साल जनवरी-जून में जर्मनी की लक्जरी कार विनिर्माता मर्सिडीज-बेंज ने 8,528 इकाइयों के साथ भारत में अपनी अबतक की सर्वाधिक छमाही बिक्री दर्ज की। यह आंकड़ा एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 13 प्रतिशत अधिक है। जर्मनी की एक अन्य लक्जरी कार विनिर्माता ऑडी ने 2023 की पहली छमाही में सालाना आधार पर 97 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 3,474 वाहन बेचे। दूसरी लग्जरी गाड़ियों की बिक्री में भी जबरदस्त उछाल आया है। आपको जानकार शायद आश्चर्य होगा कि करोड़ों की कीमत वाली इन कारों को खरीदने की होड़ है, जिसके चलते कई मॉडल की वेटिंग पीरियड एक साल तक है। इससे देख के तो यही पता चल रहा है कि देश में अमीरी तेजी से बढ़ रही है और गरीबी घट रही है।
सस्ते घरों की हिस्सेदारी गिरकर 20 फीसदी रह गई
रिपोर्ट के अनुसार, कुल आवासीय बिक्री में सस्ते घरों की हिस्सेदारी पिछले साल की पहली छमाही के 31 प्रतिशत से गिरकर समीक्षाधीन अवधि में 20 प्रतिशत रह गई है। कुल आवास बिक्री पिछले साल के 1,84,000 इकाई से बढ़कर इस साल पहली छमाही में 2,28,860 इकाई हो गई। नीति आयोग के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2015-16 से 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। यह भी इशारा कर रहा है कि लोग अब अमीर हो रहे हैं।
इस कारण सस्ते घरों की मांग में कमी आई
एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कुल बिक्री में किफायती घरों की घटती हिस्सेदारी के लिए कोविड-19 महामारी के बाद मांग में बदलाव और डेवलपर्स के साथ-साथ उपभोक्ताओं के सामने आने वाली कई अन्य चुनौतियों को बताया। उन्होंने कहा कि जमीन की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। डेवलपर्स के लिए इनकी उपलब्धता कम हो रही है। ‘ज्यादा कीमत पर वे जमीन खरीद भी लेते हैं तो कम कीमत पर बेचना उनके लिए संभव नहीं होता है।’ उन्होंने कहा कि अन्य लागत दरें भी पिछले कुछ साल में बढ़ी हैं। अब किफायती घरों की परियोजनाएं उतना आकर्षक सौदा नहीं रही हैं। जिन शहरों में सर्वेक्षण किया गया, उनमें मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता शामिल हैं।
लोगों के नजरिये में बदलाव से भी हुआ बड़ा असर
रियल एस्टेट एक्सपर्ट और अंतरिक्ष इंडिया के सीएमडी राकेश यादव ने बताया कि सस्ते घरों की मांग में कमी की बड़ी लोगों के नजरिये में हुआ बड़ा बदलाव है। कोरोना महामारी के बाद घर ही दूसरा ऑफिस बन गया था। अभी भी वर्क फ्रॉम होम पहली पसंद है। इसलिए अब लोग बड़ा घर ही खरीदना चाह रहे हैं। घर बार-बार खरीदने की चीज तो है नहीं। इसलिए लोग एक बार ही थोड़ा अधिक पैसा लगाकर बड़े साइज के फ्लैट खरीद रहे हैं। इसलिए बड़े घरों की मांग बढ़ी है। इसके साथ ही महानगरों में सस्ते घरों की सप्लाई में भी गिरावट आई है। लैंड और कंस्ट्रक्शन कॉस्ट महंगा होने के चलते सस्ते घर बनना अब संभव नहीं है। यह भी सस्ते घरों की मांग को प्रभावित कर रहा है।