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RBI इस साल भी रेपो रेट में नहीं करेगा कटौती! SBI चेयरमैन ने बताई ये बड़ी वजह

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) 7 से 9 अक्टूबर को होने वाली अगली मीटिंग रेपो रेट पर फैसला करेगी। अगस्त में खुदरा महंगाई 0.11 प्रतिशत बढ़कर 3.65 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 3.54 प्रतिशत थी।

रेपो रेट में इस साल भी कटौती की संभावना नहीं- India TV Paisa Image Source : RBI रेपो रेट में इस साल भी कटौती की संभावना नहीं

भारतीय रिजर्व बैंक इस साल भी रेपो रेट में कोई कटौती नहीं करेगा। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सी. एस. शेट्टी ने कहा है कि खाद्य महंगाई के मोर्चे पर अनिश्चितता को देखते हुए आरबीआई रेपो रेट में संभवत: कटौती नहीं करेगा। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व बुधवार को पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दर घटा सकता है। अगर ऐसा होता है तो ये चार साल से ज्यादा समय में पहली बार होगा। ऐसा माना जा रहा है कि अन्य देशों के केंद्रीय बैंक भी फेडरल रिजर्व को देखते हुए ब्याज दरें घटा सकते हैं। 

चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक करना पड़ सकता है इंतजार

सी. एस. शेट्टी ने कहा, ‘‘कई केंद्रीय बैंक ब्याज दरों के मोर्चे पर स्वतंत्र फैसले ले रहे हैं। हालांकि, फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में कटौती का असर सभी पर पड़ेगा, लेकिन आरबीआई ब्याज दर में कटौती पर फैसला लेने से पहले खाद्य महंगाई को ध्यान में रखेगा। हमारा भी यही विचार है। हमारा ये भी मानना है कि इस साल रेपो रेट में शायद कोई कटौती नहीं होगी। जब तक खाद्य महंगाई नीचे नहीं आती, तब तक रेपो रेट में कटौती मुश्किल है और इसके लिए शायद हमें चौथी (जनवरी-मार्च 2025) तिमाही के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।’’

RBI ने लगातार 9वीं बार रेपो रेट को 6.5% पर रखा बरकरार

बताते चलें कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) 7 से 9 अक्टूबर को होने वाली अगली मीटिंग रेपो रेट पर फैसला करेगी। अगस्त में खुदरा महंगाई 0.11 प्रतिशत बढ़कर 3.65 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 3.54 प्रतिशत थी। हालांकि, महंगाई दर आरबीआई के औसत लक्ष्य 4 प्रतिशत से नीचे है। लेकिन खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अगस्त में 5.66 प्रतिशत थी। आरबीआई ने उच्च खाद्य महंगाई के जोखिम को देखते हुए अगस्त की एमपीसी मीटिंग में रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। ये लगातार नौवीं बार था, जब रेपो दर में बदलाव नहीं किया गया। 

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