नई दिल्ली। भू-राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ने के बीच भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) अगले सप्ताह मौद्रिक समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों को यथावत रख सकती है। एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य ने सोमवार को यह राय व्यक्त की। भट्टाचार्य ने कहा कि पहले उनका मानना था कि केंद्रीय बैंक 6-8 अप्रैल के दौरान होने वाली मौद्रिक समीक्षा बैठक में अपने नीतिगत रुख को सख्त कर सकता है। लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भू-राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ने और इसके जिंस कीमतों पर प्रभाव के मद्देनजर अभी केंद्रीय बैंक संभवत: इस तरह कोई कदम नहीं उठाएगा।
उन्होंने कहा कि एमपीसी वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही में नीतिगत दरों में आधा प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकती है। भट्टाचार्य ने कहा, हालिया घटनाक्रमों की वजह से वृद्धि कुछ कमजोर हुई है और मुद्रास्फीति बढ़ी है। नए वित्त वर्ष में दोनों मोर्चों पर रिजर्व बैंक के अनुमानों पर विश्लेषकों की निगाह रहेगी।
उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वास्तविक वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहेगी। यह चालू वित्त वर्ष के 8.9 प्रतिशत के अनुमान से कम है। इसी तरह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत से बढ़कर 5.8 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी।
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