A
Hindi News पैसा बिज़नेस RBI ने अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट की फंडिंग के नियम सख्त बनाने का ​सुझाव दिया, जानें क्या होगा असर

RBI ने अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट की फंडिंग के नियम सख्त बनाने का ​सुझाव दिया, जानें क्या होगा असर

प्रस्तावित मानदंडों के तहत एक बैंक को निर्माण चरण के दौरान कर्ज का पांच प्रतिशत अलग रखना होगा। हालांकि यह अनुपात प्रोजेक्ट के चालू होने के साथ कम हो जाता है।

RBI- India TV Paisa Image Source : FILE आरबीआई

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट को लोन देने से संबंधित नियमों को सख्त बनाने का प्रपोजल रखा है। केंद्रीय बैंक के मसौदा नियमों में प्रोजेक्ट के चरण के हिसाब से उनका वर्गीकरण करने और निर्माण चरण के दौरान पांच प्रतिशत तक का हाई प्रोविजनिंग करने का प्रपोजल रखा है। पिछले लोन साइकिल में प्रोजेक्ट लोन की वजह से बैंकों के बही-खातों पर दबाव बढ़ गया था। यानी बैंकों का एनपीए बढ़ा था। आरबीआई की कोशिश बैंकों के एनपीए को कम रखने की है। 
आपको बता दें कि बैंकों ने 2012-2013 के दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को जम कर लोन दिया। इसके चलते इंफ्रा सेक्टर के लोन में बड़े डिफाल्ट को देखा है, जिसकी वजह से देश के बैंकिंग सिस्टम पर दबाव बढ़ा था। भारत में बड़े पैमाने पर इंफ्रा वर्क चल रहे हैं। इसमें बैंक जमकर फंड कर रहे हैं। 2013 वाली स्थिति फिर से न हो जाए, इसलिए आरबीआई ने यह सख्ती करने का निर्देश दिया है। आपको बता दें कि स्टैंडर्ड परिसंपत्ति प्रावधान 0.40 प्रतिशत है। 

लोन का 5 फीसदी अलग रखना होगा

प्रस्तावित मानदंडों के तहत एक बैंक को कंस्ट्रक्शन के दौरान कर्ज का 5 फीसदी अलग रखना होगा। यानी स्टैंडर्ड संपत्ति के लिए प्रोविजनिंग बढ़ाकर 5 फीसदी करना होगा। हालांकि यह अनुपात प्रोजेक्ट के चालू होने के साथ कम हो जाता है। इन मानकों को लाने की घोषणा आरबीआई ने पहली बार सितंबर, 2023 में की थी। प्रस्तावों पर 15 जून तक संबंधित पक्षों से राय मांगी गयी है। प्रस्ताविक मानकों के मुताबिक, परियोजना के 'परिचालन चरण' में पहुंच जाने पर वित्तीय प्रावधानों को वित्त-पोषित बकाया के 2.5 प्रतिशत तक लाया जा सकता है और फिर कुछ शर्तों को पूरा करने पर इसे एक प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

1 से 2% ही प्रोविजनिंग चाहते हैं बैंक

बैंकिंग नियामक ने स्टैंडर्ड संपत्ति के लिए प्रोविजनिंग बढ़ाकर 5 फीसदी करने का प्रस्ताव किया है। हालांकि, बैक इस पर राजी नहीं दिख रहे हैं। बैंकों का मनना है कि कर्ज के लिए इतनी बड़ी मात्रा में पूंजी अलग रखने के नियम से प्रोजेक्ट का कर्ज महंगा हो जाएगा, जो सही नहीं होगा। बैंक सरकारी क्षेत्र के प्रोजेक्ट में स्टैंडर्ड परिसंपत्ति के लिए 1% मानक प्रोविजनिंग का प्रस्ताव करेंगे क्योंकि इस तरह की परियोजनाओं में जोखिम काफी कम होता है। अन्य परियोजनाओं के मामले में 2% प्रोविजनिंग का अनुरोध कर सकते हैं। 

15 दिनों के भीतर अपडेट करना होगा

ये दिशानिर्देश कर्ज दबाव के समाधान से संबंधित ब्योरा देने के साथ खातों को अद्यतन करने के मानदंड निर्दिष्ट करते हैं और मान्यता का आह्वान करते हैं। वित्तीय संस्थान प्रोजेक्ट वित्त ऋण के मापदंडों में किसी भी बदलाव को 15 दिनों के भीतर अपडेट करेंगे। इस संबंध में आवश्यक प्रणाली इन निर्देशों के जारी होने के तीन महीने के भीतर स्थापित की जाएगी। 

क्या होगा असर 

बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट का कहना है कि नए नियम बैंकों को अधिक साइंटिफिक तरीके से प्रोजेक्ट का खाका तैयार करने और यथार्थवादी लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेंगे। आरबीआई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा फंड की गई सभी प्रोजेक्ट के फाइनेंशियल क्लोजर प्राप्त किया जाए और फंड देने से पहले प्रोपर पेपर वर्क पूरा किया जाए।

Latest Business News