नई दिल्ली। अमेजन, फ्लिपकार्ट समेत दूसरी ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए इन दिनों उपभोक्ताओं को बाय नाउ, पे लैटर (अभी खरीदें और पैसे बाद में दें) का विकल्प दे रही हैं। यह सुविधा ई—कॉमर्स कंपनियां उपभोक्ताओं को एनबीएफसी से गठजोड़ कर दे रही है। हालांकि, इसमें पारदर्शिता की बड़ी कमी को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सख्ती करने का फैसला किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आरबीआई ने ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की बाय नाउ पे लैटर (बीएनपीएल) व्यवस्था की जानकारी मांगी है। बैंकिंग क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि आरबीआई ने इस क्षेत्र में कड़े नियमन लागू करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है ताकि व्यापक खुदरा उपभोक्ता ऋणों में बढ़ते बीएनपीएल खंड में पारदर्शिता लाई जा सके।
क्यों पड़ी सख्ती की जरूरत?
बैंकिंग क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि हाल के दिनों में बाय नाउ पे लैटर (बीएनपीएल) का प्रचलन काफी बढ़ गया है। कंसल्टेंसी फर्म RedSeer की रिपोर्ट की माने तो वर्तमान में BNPL का बाजार करीब 220500-26500 करोड़ के बीच है। जिस रफ्तार से बीएनपीएल में ग्रोथ दिख रहा है, उस हिसाब से 2026 तक यह ट्रांजैक्शन 3.75 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। जिस रफ्तार से बीएनपीएल का प्रचलन बढ़ा है उस रफ्तार से खतरा भी बढ़ा है। भोले-भाले उपभोक्ता बिना समझे बाय नाउ पे लैटर ले रहे हैं और समय पर नहीं चुकाने के कारण उनसे 20-30% की दर से ब्याज वसूल किया जा रहा है। उनको यह नहीं पता है कि यह भी यह भी एक तरह का शॉर्ट टर्म लोन ही है। समय पर पेमेंट न करने पर पेनाल्टी चुकाना होगा।
ग्रेस पीरियड की लालच में लोग फंस रहें
बीएनपीएल में 15-45 दिन तक क्रेडिट फ्री पीरियड दिया जाता है। यानी, क्रेडिट कार्ड की तरह उपभोक्ता को बिना पैसे इतने दिन तक बिना ब्याज चुकाए खरीदारी का विकल्प दिया जाता है। यह नियम तभी तक लागू है जबतक समय पर बिल चुका दिया जाता है। अगर समय पर बिल का भुगतान नहीं किया जात है पेनल्टी और ब्याज वसूला जाता है। वहीं, बिल 15 दिन से 1 साल के लिए टाल दिया जाता है तो ईएमआई पर पैसे चुकाने का विकल्प दिया जाता है। इस स्थिति में ब्याज और प्रोसेसिंग फीस देनी होती है। प्रोसेसिंग फीस तो कम लगती है, लेकिन ब्याज की दर 12-18 फीसदी तक चली जाती है।
इन बातों का रखें ख्याल
अगर आप बाय नाउ, पे लैटर सुविधा का लाभ उठाने की सोच रहे हैं तो पहले यह चेक करें कि आपको प्रोसेसिंग फीस, लेट पेमेंट चार्ज, बिलिंग साइकिल, बिलिंग के बाद पेमेंट के लिए कितना समय मिल रहा है। समय पर बिल का भुगतान नहीं करने पर कितना ब्याज देना होगा। यह भी पता करें कि इनके अलावा भी कोई अतिरिक्त शुल्क तो नहीं देना होगा।
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