विलफुल डिफॉल्टर और धोखेबाजों पर मेहरबान RBI, लिया सबसे बड़ा यूटर्न
विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे सैकड़ों विलफुल डिफॉल्टर्स पर बैंक सख्ती से कार्रवाई कर रहे हैं। ऐसे में रिजर्व बैंक के इस यूटर्न पर कई विशेषज्ञ सवाल भी उठा रहे हैं।
जानबूझ कर बैंकों का कर्ज न लौटाने वाले धोखेबाजों (Wilful Defaults) को रिजर्व बैंक (RBI) ने सबसे बड़ी रियायत दी है। अब ऐसे विलफुल डिफॉल्टर्स बैंकों के साथ कर्ज की शर्तों में बदलाव के लिए बातचीत कर सकते हैं और अपने न अदा किए गए कर्ज को लेकर बैंक के साथ सैटलमेंट भी कर सकते हैं। इतना ही नहीं, बैंक इन विलफुल डिफॉल्टर्स को 12 महीने की कूलिंग अवधि के बाद एक बार फिर से कर्ज भी मुहैया करा सकते हैं। बता दें कि विजय माल्या (Vijay Mallya), नीरव मोदी (Nirav Modi) और मेहुल चौकसी (Mehul Choksi) जैसे सैकड़ों विलफुल डिफॉल्टर्स पर बैंक सख्ती से कार्रवाई कर रहे हैं। ऐसे में रिजर्व बैंक के इस यूटर्न पर कई विशेषज्ञ सवाल भी उठा रहे हैं।
विलफुल डिफॉल्टर्स पर RBI का यूटर्न्
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने दबाव वाली संपत्तियों से अधिकतम वसूली सुनिश्चित करने के लिए बैंकों को धोखाधड़ी वाले खातों और इरादतन या जानबूझकर चूक के मामलों का निपटारा समझौते के जरिये करने की मंजूरी दे दी है। आरबीआई ने एक अधिसूचना में धोखाधड़ी वाले खातों और कर्ज अदायगी में इरादतन चूक के मामलों में समझौता करने की मंजूरी देते हुए कहा है कि इसके लिए निदेशक-मंडल के स्तर पर नीतियां बनानी होंगी। इस संबंध में कुछ जरूरी शर्तें भी निर्धारित की गई हैं। इन शर्तों में कर्ज की न्यूनतम समयसीमा, जमानत पर रखी गई संपत्ति के मूल्य में आई गिरावट जैसे पहलू भी शामिल होंगे।
बैंकों के लिए जारी होंगे नियम
बैंकों का निदेशक-मंडल इस तरह के कर्जों में अपने कर्मचारियों की जवाबदेही की जांच के लिए भी एक प्रारूप तय करेगा। अधिसूचना के मुताबिक, रिजर्व बैंक से विनियमित वित्तीय इकाइयां इरादतन चूककर्ता या धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत खातों के संबंध में ऐसे देनदारों के खिलाफ जारी आपराधिक कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर समझौता समाधान या तकनीकी बट्टे-खाते में डाल सकती हैं। समाधान नीति में बैंक एक गणना-पद्धति भी निर्धारित करेगा ताकि जमानत पर रखी गई संपत्ति के वसूली-योग्य मूल्य की गणना की जा सके। इससे यह तय हो पाएगा कि संकटग्रस्त कर्जदार से न्यूनतम खर्च पर अधिकतम कितनी वसूली हो पाएगी। इसके मुताबिक, विनियमित इकाइयों के बहीखाते में चिह्नित ऐसे किसी भी वसूली दावे को मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार पुनर्गठित कर्ज माना जाएगा।
12 महीने में फिर से ले सकेंगे लोन
रिजर्व बैंक के प्रावधानों के अनुसार समझौते से समाधान होने की स्थिति में संबंधित देनदार को नया कर्ज देने का ‘कूलिंग पीरियड’ रखा जाएगा, ताकि बैंकों के जोखिम को कम किया जा सके। कृषि ऋणों से इतर कर्जों में यह अवधि 12 महीनों की हो सकती है। इस प्रकार यदि पहले कोई जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाता था तो जहां पहले उसे कर्ज पाने में मुश्किल का सामना करता था, वहीं अब वह 1 साल के बाद कूलिंग अवधि पूरी करने पर दोबार बैंक से कर्ज प्राप्त कर सकता है।
(PTI Input)