RBI Monetary Policy: होम लोन की ब्याज दरों में .40% तक की कटौती होगी! जानें कब से मिलेगी यह खुशखबरी
भारत में खुदरा महंगाई अब भी चिंता का विषय बनी हुई है, तथा पश्चिम एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है, जिसका असर कच्चे तेल और जिंस कीमतों पर हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी सोमवार से शुरू हो गई है। आरबीआई गवर्नर और एमपीसी चेयरमैन शक्तिकान्त दास बुधवार (9 अक्टूबर) को तीन दिवसीय चर्चा के नतीजों की घोषणा करेंगे। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई शायद अमेरिकी फेडरल रिजर्व का अनुसरण न करे, जिसने हाल में ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की कमी की है। डॉयचे बैंक के भारत और दक्षिण एशिया के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक दास ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि आरबीआई आगामी अक्टूबर मौद्रिक नीति बैठक में नीतिगत रेपो दर (वर्तमान में 6.50 प्रतिशत) में बदलाव नहीं करेगा। हालांकि, इस बार कटौती न होने से भी Home और Car Loan लोन लिए हुए लोगों को निराश होने की जरूरत नहीं है। होम लोन के ब्याज में .40% तक की कमी आने वाले समय में होगी। आइए जानते हैं कि कब से होम लोन सस्ता होगा।
दिसंबर से होम और कार लोन की EMI घटेगी
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बहुत ही कम है। लेकिन फेस्टिव सीजन में बैंक अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कई आकर्षक स्कीम लेकर आएंगे। इसमें अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले ग्राहकों को सस्ते ब्याज दर पर होम लोन का ऑफर करेंगे। वहीं, अगर इस बार ब्याज दरों में कटौती नहीं होती है तो अगली तिमाही में रेपो रेट में कटौती पक्की होगी। इसके चलते इस वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में बैंक से होम लोन के ब्याज दर पर 25-40 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद कर सकते हैं। यानी दिसंबर से आपको सस्ते होम लोन का तोहफा मिल सकता है।
महंगाई और ग्लोबल टेंशन से बढ़ी चिंता
भारत में खुदरा महंगाई अब भी चिंता का विषय बनी हुई है, तथा पश्चिम एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है, जिसका असर कच्चे तेल और जिंस कीमतों पर हुआ है। इस महीने की शुरुआत में सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की दर-निर्धारण समिति - मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का पुनर्गठन किया। इसमें तीन नए नियुक्त बाहरी सदस्यों के साथ पुनर्गठित समिति सोमवार को अपनी पहली बैठक शुरू करेगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर में ही इसमें कुछ ढील की गुंजाइश है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर बनी रहे।