RBI Repo Rate: कमर तोड़ेगी RBI वाली महंगाई, रिजर्व बैंक ने लगातार पांचवीं बार बढ़ाई रेपो रेट, होम कार लोन होंगे महंगे
जून, अगस्त, सितंबर और अब दिसंबर को मिलाकर रिजर्व बैंक अब तक ब्याज दरों में 2.25 प्रतिशत की बढोत्तरी कर चुका है। रिजर्व बैंक गवर्नर के अनुसार आरबीआई ने महंगाई (inflation) में कमी लाने के लिए रेपो रेट में यह बढ़ोतरी की है।
अगर होम लोन और कार लोन की बढ़ती ईएमआई से आपके कंधे झुक गए हैं तो अपने कंधे और भी मजबूत कर लीजिए। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मई के बाद से लगातार पांचवीं बार प्रमुख ब्याज दर अर्थात रेपो रेट (Repo Rate) में बढ़ोत्तरी कर दी है। इससे आपके होम और कार लोन के अलावा अन्य सभी लोन महंगे हो जाएंगे। आज मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने रेपो रेट में 35 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही अब रेपो रेट बढ़कर 6.25 फीसदी पहुंच गया है।
बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक ने मई में ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की थी। इसके बाद जून, अगस्त, सितंबर और अब दिसंबर को मिलाकर रिजर्व बैंक अब तक ब्याज दरों में 2.25 प्रतिशत की बढोत्तरी कर चुका है। रिजर्व बैंक गवर्नर के अनुसार आरबीआई ने महंगाई (inflation) में कमी लाने के लिए रेपो रेट में यह बढ़ोतरी की है। रेपो रेट बढ़ने से होम लोन समेत सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे। लेकिन फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करने वालों को फायदा होगा।
रिजर्व बैंक ने घटाया ग्रोथ का अनुमान
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में MPC की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी के ग्रोथ अनुमान को घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है। 30 सितंबर को पिछले पॉलिसी स्टेटमेंट में इसके सात फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था।
इस साल कब-कब बढ़ी ब्याज दर
- मई - 0.4 %
- 8 जून -0.5 %
- 5 अगस्त - 0.5 %
- 30 सितंबर - 0.5 %
- 7 दिसंबर - 0.35 %
जानिए कितनी बढ़ेगी होम लोन की दरें
रिजर्व बैंक के फैसले से पहले होम लोन ग्राहक डरे हुए थे, उनका डर तब सही साबित हुआ जब रेपो रेट में 0.35 बेसिस पॉइंट की बढ़ोत्तरी कर दी गई। अब जब रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की घोषणा कर दी है तो ऐसे में अब यह तय माना जा रहा है कि देश के प्रमुख बैंक भी आज या कल में ब्याज दरें बढ़ा देंगे। पिछली बढ़ोत्तरी के बाद देश में होम लोन की औसत दर 8 फीसदी के करीब आ गई थी। ऐसे में अब दरें 8.5 फीसदी पहुंच सकती है।
पर्सनल और क्रेडिट कार्ड के लोन पर भी बढ़ेगा बोझ
रेपो रेट में बढ़ोतरी से आने वाले दिनों में आपके पर्सनल और क्रेडिट कार्ड लोन की ईएमआई भी बढ़ेगी। दरअसलए बैंक इनके लोन पर भी ब्याज दर में इजाफा करेंगे। ऐसे में कहीं से राहत मिलने की उम्मीद नहीं।
FD ग्राहकों को होगा फायदा
यदि आप के सिर पर कोई लोन नहीं है तो आप खुशी मना सकते हैं क्योंकि रिजर्व बैंक की रेपा दरों में वृद्धि के बाद फिक्स डिपॉजिट की दरों में बढ़ोत्तरी की संभावना बढ़ गई है। जून के बाद से करीब सभी बैंक एफडी की दरों में वृद्धि कर चुके हैं। इस समय बैंक करीब 5.5 प्रतिशत की दर से एफडी पर ब्याज दे रहे हैं। ऐसे में आपके लिए अच्छा रिटर्न पाने के मौके भी बढ़ गए हैं।
रेपो रेट (Repo Rate)
रेपो रेट को आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।
रेपो रेट से आम आदमी पर क्या पड़ता है प्रभाव
जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे।
रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate)
यह रेपो रेट से उलट होता है। बैंकों के पास जब दिन-भर के कामकाज के बाद बड़ी रकम बची रह जाती है, तो उस रकम को रिजर्व बैंक में रख देते हैं। इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है। रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।
रिवर्स रेपो रेट का आम आदमी पर ऐसे पड़ता है प्रभाव
जब भी बाजारों में बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें। इस तरह बैंकों के कब्जे में बाजार में छोड़ने के लिए कम रकम रह जाएगी।
जानिए क्या होता है नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio/CRR)
बैंकिंग नियमों के तहत हर बैंक को अपने कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना ही होता है, जिसे कैश रिजर्व रेश्यो अथवा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कहा जाता है। यह नियम इसलिए बनाए गए हैं, ताकि यदि किसी भी वक्त किसी भी बैंक में बहुत बड़ी तादाद में जमाकर्ताओं को रकम निकालने की जरूरत पड़े तो बैंक पैसा चुकाने से मना न कर सके।
आम आदमी पर CRR का ऐसे पड़ता है प्रभाव
अगर सीआरआर बढ़ता है तो बैंकों को ज्यादा बड़ा हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होगा और उनके पास कर्ज के रूप में देने के लिए कम रकम रह जाएगी। यानी आम आदमी को कर्ज देने के लिए बैंकों के पास पैसा कम होगा। अगर रिजर्व बैंक सीआरआर को घटाता है तो बाजार नकदी का प्रवाह बढ़ जाता है।