बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को लोन अकाउंट में संशोधित मानक लागू करने की डेडलाइन आरबीआई ने तीन महीने के लिए आगे बढ़ा दी है। इसे भारतीय रिजर्व बैंक ने अब 1 अप्रैल 2024 से बैंकों और एनबीएफसी को लागू करने के लिए कहा है। आपको बता दें, केंद्रीय बैंक ने अगस्त में ‘उचित ऋण प्रक्रिया- ऋण खातों में दंडात्मक शुल्क’ पर एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा था कि यह 1 जनवरी, 2024 से लागू होगा।
सभी नए लोन के संबंध में ये निर्देश लागू होंगे
खबर के मुताबिक, आरबीआई ने कहा कि हालांकि, कुछ विनियमित संस्थाओं द्वारा अपने इंटरनल सिस्टम को नया आकार देने और सर्कुलर को अमल में लाने के लिए कुछ स्पष्टीकरण और अतिरिक्त समय मांगने पर इन निर्देशों को लागू करने की समय-सीमा को तीन महीने तक बढ़ाने का फैसला लिया गया है। इसके मुताबिक, बैंक और एनबीएफसी को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि 1 अप्रैल, 2024 से लिए जाने वाले सभी नए लोन के संबंध में ये निर्देश लागू किए जाएं।
रिजर्व बैंक ने 18 अगस्त को किया था संशोधन
आरबीआई ने कहा कि मौजूदा लोन के मामले में नई दंडात्मक शुल्क व्यवस्था का क्रियान्वयन 1 अप्रैल, 2024 को या उसके बाद 30 जून तक पड़ने वाली अगली समीक्षा/ नवीनीकरण तिथि पर किया जाना चाहिए। राजस्व वृद्धि के उपाय के रूप में दंडात्मक ब्याज का उपयोग करने वाले बैंकों और एनबीएफसी की गतिविधियों से चिंतित रिजर्व बैंक ने 18 अगस्त को मानदंडों में संशोधन किया था।
इनके तहत ऋणदाता लोन के रीपेमेंट में चूक पर ‘उचित’ दंडात्मक शुल्क ही लगा सकेंगे। इसमें कहा गया था कि बैंकों और दूसरे लोन देने वाले संस्थानों को 1 जनवरी, 2024 से दंडात्मक ब्याज लगाने की अनुमति नहीं होगी। नए नियमों के तहत,अगर उधारकर्ता द्वारा लोन एग्रीमेंट के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों का पालन न करने पर जुर्माना लगाया जाता है, तो इसे 'दंडात्मक शुल्क' के रूप में माना जाना चाहिए।
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