World Bank ने भारतीय रेलवे के भाड़ा और लॉजिस्टिक बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए 24.5 करोड़ डॉलर के लोन को मंजूरी दी है। इस कदम से रेल लॉजिस्टिक परियोजना से देश को सड़क की बजाय रेल के जरिये अधिक यातायात स्थानांतरित करने में मदद मिलेगी। इस परियोजना का उद्देश्य माल और यात्री दोनों के परिवहन अधिक कुशल बनाना और हर साल लाखों टन के कार्बन उत्सर्जन को कम करना है।
रेलवे को हो रहा नुकसान
बयान में कहा गया कि भारतीय रेलवे की क्षमता की कमी ने माल ले जाने की मात्रा को सीमित करने के साथ लदान की गति और विश्वसनीयता को कम कर दिया है। इन कारणों से ट्रकों की जरिए माल के परिवहन अधिक हो रहा है और भारतीय रेलवे की कुल लदान में हिस्सेदारी वर्ष 2017-18 के दौरान घटकर 32 प्रतिशत रह गई, जो एक दशक पहले 52 प्रतिशत थी।
कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी
विश्व बैंक (भारत) के संचालन प्रबंधक एवं कार्यवाहक देश निदेशक हिदेकी मोरी ने कहा, इस परियोजना से कार्बन उत्सर्जन को कम करने के साथ लाखों यात्रियों को लाभ मिलेगा, क्योंकि मालगाड़ियों के लिए अलग गलियारा होने से रेलवे लाइनों पर भीड़-भाड़ कम हो जायेगी।’’ विश्व बैंक की तरफ से पुनर्निर्माण और विकास के लिए यह ऋण 22 साल की अवधि के लिए दिया गया है और इसमें सात साल की छूट अवधि भी शामिल है।
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