कई राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना में वापस जाने का इरादा दिखाया है। इस पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि ऐसा करने से सरकारी खर्च कम हो जाएगा, लेकिन भविष्य के लिए देनदारियां बढ़ सकती हैं। उन्होंने खुदरा ऋण देने की दिशा में बहुत अधिक झुकाव पर बैंकों को आगाह किया है। डावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) से इतर एक ऑनलाइन पोर्टल को दिए साक्षात्कार में राजन ने कहा कि नई पेंशन योजना को इसलिए अपनाया गया क्योंकि पुरानी योजना में भारी देनदारियां बन गई थीं।
इन राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना बहाल की
उन्होंने आगे कहा कि सरकारों के लिए परिभाषित लाभ योजनाओं को अपनाना आसान है क्योंकि देनदारियों को मान्यता नहीं दी जा रही है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब जैसी कई राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को अपनाया है, इसमें हिमाचल प्रदेश भी शामिल है। राजन ने साक्षात्कार में आगे कहा कि हालांकि यह प्रत्येक राज्य सरकार को तय करना है, लेकिन इन योजनाओं को प्रभावी ढंग से समाज के कमजोर वर्गों के लिए लक्षित किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें लाभ मिल सके।
बैंकों को भी अगाह किया
आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने साक्षात्कार के दौरान भारतीय बैंकों को खुदरा ऋण देने की दिशा में उनके बदलाव के प्रति आगाह भी किया, क्योंकि उन्होंने कहा था कि मंदी के मामले में संभावित जोखिम हो सकते हैं। राजन की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारतीय बैंकों ने थोक ऋण की तुलना में खुदरा संपत्ति में भारी उछाल देखा है। इंटरव्यू में उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि बैंकों को इंफ्रास्ट्रक्च र ऋण देने में शामिल सभी जोखिमों की जांच करनी चाहिए। पूर्व बैंकर ने कहा कि 2007 और 2009 के बीच, आरबीआई इंफ्रास्ट्रक्च र लोन की ओर बढ़ा था, हालांकि बाद में उसमें समस्याएं सामने आईं।
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