देश में सड़क और रेलवे से जुड़े प्रोजेक्ट सबसे अधिक देरी से चल रहें, कुल इतनी परियोजनाएं निर्धारित समयसीमा से पीछे
कुल 821 प्रोजेक्ट अपनी मूल निर्धारित समयसीमा से पीछे हैं और 165 प्रोजेक्ट ऐसी हैं जिनमें पिछले माह की तुलना में विलंब और बढ़ा है। इन 165 परियोजनाओं में से 52 बड़ी यानी 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की प्रोजेक्ट हैं।
क्या आपको पता है कि देश में कौन-कौन सी प्रोजेक्ट अपने तय समय से काफी पीछे चल रहे हैं। आपको बता दें कि देश में कुल 821 प्रोजेक्ट निर्धारित समयसीमा से पीछे चल रहें हैं। इनमें सबसे अधिक सड़क परिवहन एंव राजमार्ग से जुड़ी परियोजनाएं देरी से चल रहीं हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में सबसे अधिक 402 प्रोजेक्ट लंबित हैं। इसके बाद रेलवे की 115 और पेट्रोलियम क्षेत्र की 86 प्रोजेक्ट देरी से चल रहें हैं। सरकार की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के प्रोजेक्ट पर मार्च, 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में 749 में से 402 प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। रेलवे की 173 में से 115 प्रोजेक्ट अपने समय से पीछे चल रही हैं। वहीं पेट्रोलियम क्षेत्र की 145 में से 86 प्रोजेक्ट अपने निर्धारित समय से पीछे चल रही हैं। अवसंरचना एवं परियोजना निगरानी प्रभाग (आईपीएमडी) 150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की प्रोजेक्ट की निगरानी करता है।
मुनीराबाद-महबूबनगर रेल प्रोजेक्ट सबसे अधिक देरी
आईपीएमडी, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है। रिपोर्ट से पता चलता है कि मुनीराबाद-महबूबनगर रेल परियोजना सबसे अधिक देरी वाली प्रोजेक्ट हैं। यह अपने निर्धारित समय से 276 महीने पीछे है। दूसरी सबसे देरी वाली प्रोजेक्ट उधमपुर-श्रीनगर-बारापूला रेल परियोजना है। इसमें 247 माह का विलंब है। इसके अलावा बेलापुर-सीवुड शहरी विद्युतीकरण दोहरी लाइन परियोजना अपने निर्धारित समय से 228 महीने पीछे है। मार्च, 2023 की रिपोर्ट में 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की 1,449 प्रोजेक्ट का ब्योरा है। रिपोर्ट के अनुसार, 821 प्रोजेक्ट अपने मूल समय से पीछे हैं। वहीं 354 प्रोजेक्ट ऐसी हैं जिनकी लागत बढ़ चुकी है। 247 प्रोजेक्ट देरी से भी चल रही हैं और इनकी लागत भी बढ़ी है।
कुल 821 प्रोजेक्ट निर्धारित समयसीमा से पीछे
कुल 821 प्रोजेक्ट अपनी मूल निर्धारित समयसीमा से पीछे हैं और 165 प्रोजेक्ट ऐसी हैं जिनमें पिछले माह की तुलना में विलंब और बढ़ा है। इन 165 परियोजनाओं में से 52 बड़ी यानी 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की प्रोजेक्ट हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 749 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 4,32,893.85 करोड़ रुपये थी, जिसके अब बढ़कर 4,51,168.46 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इस तरह इन परियोजनाओं की लागत 4.2 प्रतिशत बढ़ी है। मार्च, 2023 तक इन परियोजनाओं पर 2,31,620.94 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो मूल लागत का 51.3 प्रतिशत है। इसी तरह रेलवे क्षेत्र में 173 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,72,761.45 करोड़ रुपये थी, जिसे बाद में संशोधित कर 6,27,160.59 करोड़ रुपये कर दिया गया। इस तरह इनकी लागत में 68.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन परियोजनाओं पर मार्च, 2023 तक 3,84,947.64 करोड़ रुपये या परियोजनाओं की अनुमानित लागत का 61.4 प्रतिशत खर्च किया जा चुका है। पेट्रोलियम क्षेत्र की 145 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,63,608.84 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 3,84,082.25 करोड़ रुपये कर दिया गया। इन परियोजनाओं की लागत में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन परियोजनाओं पर मार्च, 2023 तक 1,52,566.01 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो कुल लागत का 39.7 प्रतिशत बैठता है।