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Hindi News पैसा बिज़नेस 1.5 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच सकता है सरकारी बैंकों का प्रॉफिट, पहली छमाही में दर्ज की गई 25% की बढ़ोतरी

1.5 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच सकता है सरकारी बैंकों का प्रॉफिट, पहली छमाही में दर्ज की गई 25% की बढ़ोतरी

सरकारी बैंकों के ग्रॉस एनपीए रेशो में जबरदस्त सुधार देखा गया है, जो मार्च 2018 में 14.58 प्रतिशत के उच्च स्तर से सुधार करते हुए सितंबर 2024 में 3.12 प्रतिशत पर आ गया। एनपीए में आई ये कमी बैंकिंग सिस्टम में तनाव को दूर करने के उद्देश्य से उठाए गए कदमों की सफलता को दर्शाती है।

government banks, public sector banks, government banks profit- India TV Paisa Image Source : PTI सरकारी बैंकों के ग्रॉस एनपीए रेशो में देखा गया जबरदस्त सुधार

NPA (नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट्स) में गिरावट आने और डबल डिजिट के क्रेडिट ग्रोथ से चालू वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों का प्रॉफिट 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहने की उम्मीद है। सरकारी बैंकों (PSB) का वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में कुल नेट प्रॉफिट 25 प्रतिशत बढ़कर 85,520 करोड़ रुपये हो गया जबकि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में ये 68,500 करोड़ रुपये था। बैंकों के नेट प्रॉफिट में बढ़ोतरी का सिलसिला दूसरी छमाही में भी जारी रहने की उम्मीद है। पब्लिक सेक्टर के बैंकों ने ऐसेट क्वालिटी, क्रेडिट ग्रोथ, स्वस्थ पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Healthy Capital Adequacy Ratio) और ऐसेट्स पर बढ़ते रिटर्न के दम पर 2023-24 में 1.41 लाख करोड़ रुपये का अपना अब तक का सबसे ज्यादा कुल नेट प्रॉफिट दर्ज किया। 

सरकारी बैंकों के ग्रॉस एनपीए रेशो में देखा गया जबरदस्त सुधार

सरकारी बैंकों के ग्रॉस एनपीए रेशो में जबरदस्त सुधार देखा गया है, जो मार्च 2018 में 14.58 प्रतिशत के उच्च स्तर से सुधार करते हुए सितंबर 2024 में 3.12 प्रतिशत पर आ गया। एनपीए में आई ये कमी बैंकिंग सिस्टम में तनाव को दूर करने के उद्देश्य से उठाए गए कदमों की सफलता को दर्शाती है। PSB की मजबूती का एक अन्य इंडिकेटर उनका पूंजी से जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (CRAR) है जो मार्च 2015 के 11.45 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2024 में 15.43 प्रतिशत हो गया। ये सुधार बैंकिंग सेक्टर की स्थिरता और मजबूती को दिखाने के साथ ही पीएसबी को इकोनॉमिक ग्रोथ का बेहतर सपोर्ट करने की स्थिति में भी रखता है। 

आरबीआई की 11.5 प्रतिशत की न्यूनतम शर्त से काफी ज्यादा है बैंकों का CRAR

सरकारी बैंकों के CRAR का ये लेवल आरबीआई की 11.5 प्रतिशत की न्यूनतम शर्त से कहीं ज्यादा है, जो बैंकों की जबरदस्त फाइनेंशियल हेल्थ को दिखाता है। इसका नतीजा ये निकला है कि भारत 2014-15 में घाटे की स्थिति से उबरकर ट्विन बैलेंस शीट एडवांटेज के करीब है। आरबीआई ने 2015 में ऐसेट क्वालिटी रीव्यू (AQR) शुरू कर एनपीए की पारदर्शी पहचान को अनिवार्य बनाया था। इसने पहले से पुनर्गठित कर्ज को भी एनपीए के रूप में एक बार फिर क्लासिफाई, जिससे रिपोर्ट किए गए एनपीए में तेज बढ़ोतरी हुई। इस दौरान फंसे हुए कर्जों के लिए प्रावधान की बढ़ती जरूरतों ने बैंकों के वित्तीय मापदंडों को प्रभावित किया। इससे उनकी उधार देने और इकोनॉमी के प्रोडक्टिव सेक्टर्स को सपोर्ट करने की क्षमता सीमित हो गई।

पीटीआई इनपुट्स के साथ

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