नयी दिल्ली। रेलवे ने विभिन्न बिजली संयंत्रों में कोयले की ढुलाई के लिए अपने 86 प्रतिशत खुले वैगनों को तैनात किया है। देश में बिजली संकट से निपटने के लिए ऐसा किया गया है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रेलवे 1,31,403 बॉक्सएन या खुले वैगनों के अपने बेड़े में से 1,13,880 का इस्तेमाल कोयला परिवहन के लिए कर रहा है। उन्होंने बताया कि कोयला और बिजली मंत्रालयों की सलाह से रेलवे द्वारा तैयार की गई योजना के तहत यह फैसला किया गया।
आंकड़ों से पता चलता है कि रेलवे के पास लगभग 3,82,562 वैगन हैं, जिनमें से 1,31,403 खुले वैगन हैं। इनमें से 3,636 को दो मई तक मरम्मत की आवश्यकता थी। बिजली संयंत्रों की मांग को पूरा करने के लिए रेलवे रोजाना औसतन 28,470 वैगनों में कोयला लाद रहा है। एक कोयला ट्रेन में आमतौर पर 84 वैगन तक होते हैं। रेलवे ने परिवहन में तेजी लाने के लिए झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में 122 स्थानों पर तीन से पांच रेलगाड़ियों को एक साथ चलाने के लिए एक अभिनव तरीके का इस्तेमाल किया है।
सूत्रों ने कहा कि रेलवे कोयला ले जाने के लिए लगभग 40-50 क्षतिग्रस्त वैगनों का इस्तेमाल कर रहा है। इसी तरह जिन रेक को पहले 7,500 किलोमीटर चलने के बाद मरम्मत के लिए गैराज भेजा जाता था, उन्हें अब 10,000 किलोमीटर के बाद गैराज भेजा जा रहा है।
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