Power Crisis Explainer: हो जाइए 10 से 15 घंटे तक बिजली कटौती के लिए तैयार! कोयला संकट से मई में लग सकता है करंट
गुरुवार 28 अप्रैल को देश में बिजली की मांग ने अपना सर्वोच्च स्तर 204.65 मेगावाट पहुंच गया। जो 7 जुलाई 2021 के 200.53 के रिकॉर्ड स्तर से अधिक है।
Highlights
- 28 अप्रैल को बिजली की मांग ने अपना सर्वोच्च स्तर 204.65 मेगावाट छू लिया
- गर्मी के तेवर और बढ़ने से मई में बिजली की मांग 220 मेगावाट तक जा सकती है
- कोयले की कमी के कारण देश के कई राज्यों में पावर प्लांट बंद हो रहे हैं
Power Crisis Explainer: अप्रैल की बदन झुलसा देने वाली गर्मी के बीच कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक देश के लगभग 16 राज्य बिजली की भीषण कटौती की मार झेल रहे हैं। यहां बिजली संकट से बोर्ड की परीक्षाएं दे रहे छात्र हों, गैस चूल्हे से भभकते रसोई घरों में खाना बना रही महिलाएं हो या अस्पताल जीवन रक्षक मशीनों पर निर्भर हों, हर कोई गर्मी के बीच कटौती से हलाकान हैं।
देश के छोटे बड़े मिलाकर लगभग 16 राज्यों में करीब 2 से 10 घंटों की कटौती की जा रही है। अप्रैल में अचानक गर्मी के गियर बदलने से बिजली की मांग अचानक बढ़ने से स्थित बेहद खराब हो गई है। गुरुवार 28 अप्रैल को देश में बिजली की मांग ने अपना सर्वोच्च स्तर 204.65 मेगावाट छू लिया। जो 7 जुलाई 2021 के 200.53 के रिकॉर्ड स्तर से अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार मई में बिजली की मांग 220 मेगावाट तक जा सकती है। ऐसे में अगले महीने करीब 15 घंटे तक की कटौती के लिए हो जाइए तैयार।
बिजली कटौती से राज्यों का हाल बेहाल
क्यों करनी पड़ रही है बिजली कटौती
बिजली कटौती करने के पीछे मुख्य कारण बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ती खाई है। देश के प्रमुख बिजली उत्पादक राज्य झारखंड में ही बिजली की 17 फीसदी कमी है, जो देश में सबसे अधिक है। दूसरी ओर जम्मू कश्मीर में डिमांड सप्लाई का अंतर 11 प्रतिशत से अधिक हो गया है। यूपी में मांग के मुकाबले 9 प्रतिशत कम बिजली मिल रही है जिससे 10 घंटे से ज्यादा की कटौती झेलनी पड़ रही है। जिसके चलते तपती गर्मी के बीच रमजान के पाक महीने में रोजेदारों के लिए लंबे पावर कट मुश्किल और भी बढ़ गई है। बिहार और पंजाब में भी 2 से 10 घंटे तक बिजली नहीं आ रही है।
किस राज्य में बिजली की कितनी कमी है
कोयले को तरस रही बिजली घरों की भट्टियां
देश के बिजली घरों को कोयला सप्लाई करने की जिम्मेदारी कोल इंडिया पर है। कंपनी के अनुसार देश के बिजलीघरों को प्रतिदिन 16.4 लाख टन कोयले की सप्लाई की जा रही है, लेकिन कोयले की मांग 22 लाख टन से अधिक पहुंच चुकी है। कोयला खदानों से दूर स्थित 173 पावरप्लांट में से 106 प्लांटों के पास शून्य से 25 प्रतिशत कोयला ही शेष बचा है। वहीं जो प्लांट खदानों के नजदीक हैं उनके पास भी 80 प्रतिशत से कम कोयले की कमी है। कोयले की कमी को देखते हुए रेलवे की मालगाड़ियों की संख्या 10 प्रतिशत बढ़कर 400 के पार पहुंच गई है।
कोयले की कमी से बंद हो रहे बिजली घर
कोयले की कमी के कारण देश के कई राज्यों में पावर प्लांट बंद हो रहे हैं। देश में फिलहाल 72074 मेगावाट क्षमता का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। इसमें से 38826 मेगावाट के प्लांट के पास कोयला ही नहीं है। वहीं 9700 मेगावाट के प्लांट क्षमता से कम बिजली पैदा कर रहे हैं। जबकि 23000 मेगावाट के प्लांट किसी न किसी खराबी के कारण बंद पड़े हैं। उत्तर प्रदेश के हरदुआगंज की 110 मेगावाट की इकाई को बंद करना पड़ा है। पारीछा और ओबरा में भी कोयले का स्टॉक 25 प्रतिशत से कम रह गया हैं। पंजाब के राजपुरा संयंत्र में 17 दिनों का कोयला भंडार बचा है, जबकि तलवंडी साबो संयंत्र के पास चार दिन का स्टॉक है।
राज्यों ने बढ़ाया केंद्र पर दबाव
बिजली घरों में कोयले की सप्लाई की जिम्मेदारी कोल इंडिया और केंद्र सरकार पर है। ऐसे में गैर भाजपा शासित राज्यों ने केंद्र पर दबाव बनाना भी शुरू कर दिया है। दिल्ली सरकार ने कहा है कि दिल्ली को पावर सप्लाई करने वाले पावर प्लांट दादरी-2 और ऊंचाहार बिजली स्टेशनों से बिजली आपूर्ति बाधित हो रही है। वहीं दिल्ली के बिजली घरों में 1 दिन का कोयला शेष है। ऐसे में दिल्ली की बिजली कभी भी गुल हो सकती है। ऐसे में सीएम केजरीवाल ने तो मेट्रो ट्रेन और अस्पतालों में बिजली कटौती की वॉर्निंग भी दे दी है।
केंद्र ने कहा- जानबूझ कर बिजली नहीं खरीद पा रहे राज्य
बिजली की समस्या को लेकर केंद्र और राज्य के बीच वार पलटवार जारी है। राज्य कह रहे हैं कि उनके पास बिजली नहीं है, वहीं केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार के अनुसार सेंट्रल पूल में अभी भी 4000 से 5000 मेगावॉट बिजली उपलब्ध है। लेकिन बिजली उपलब्ध होने के बावजूद राज्य इसे न खरीदकर अपने राज्य में कटौती का सहारा ले रहे हैं। हालांकि बिजली न खरीदपाने के पीछे एक कारण बिजली के दाम भी हैं। सेंट्रल पूल पर बिजली की कीमत 12 रुपये प्रति यूनिट है।
कोल इंडिया का बिल नहीं चुकाने में गैर भाजपाई राज्य फिसड्डी
कई राज्य पर्याप्त कोयला न मिलने की शिकायत तो कर रहे हैं, लेकिन राज्यों के कोल इंडिया पर बकाया आपको हैरान कर देगा। यहां खास बात है कि गैर भाजपा शासित राज्यों का ट्रैक रिकॉर्ड सबसे खराब है। कोयला मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश के बड़े राज्य जैसे महाराष्ट्र एवं पश्चिम बंगाल और राज्यों के पावर प्लांट देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया से कोयला तो खरीदते हैं लेकिन उसका बिल नहीं चुकाते। कोल इंडिया पर महाराष्ट्र का 2608 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल का बकाया 1509 करोड़ रुपये का है। वहीं कोयला उत्पादक राज्य झारखंड का बकाया भी 1000 करोड़ के पार है।
केंद्र राज्य के झगड़े में पिसी जनता
आंकड़ों की मानें तो बिजली के मामले में हम पूरी तरह से आत्म निर्भर हैं। लेकिन केंद्र और राज्य के आरोप और प्रत्यारोप के बीच असली मुश्किल जनता की है। सरकारों के पास समस्या का असल में कोई रोडमैप नहीं है। गर्मी के दो प्रचंड महीने मई और जून अभी भी बाकी हैं। ऐसे में समस्या अभी और भी विकराल होनी है।