World Currency: कोरोना महमारी के बाद पूरी दुनिया में महंगाई आसमान पर है। इसके चलते अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में मंदी का खतरा है। कुछ देशों में इसके असर भी देखे जाने लगे हैं। महंगाई (Inflation) बढ़ने लगी है और रोजगार (Job) में कमी आने लगी है। उन देशों की करेंसी कमजोर होनी शुरु हो गई है। यही हाल इस समय ब्रिटेन (Britain) का भी है। ब्रिटेन की करेंसी लगातार गिर रही है। यूएस डॉलर (USD) के मुकाबले पाउंड (Pound) कमजोर होता जा रहा है। पिछले एक महीने में पाउंड पांच रुपया के करीब टूट गया है। इस समय 1 पाउंड की कीमत 91.65 रुपये है, जो महीने भर पहले 15 अगस्त को 95.91 रुपये थी।
डॉलर के करीब पहुंच रहा पाउंड
आज से ठीक एक महीने पहले यानि 15 अगस्त को एक पाउंड की कीमत 1.21 डॉलर के बराबर था जो आज 15 सितंबर को गिरकर 1.15 डॉलर प्रति पाउंड हो गई है। इसका फायदा भारत को मिल रहा है और भारतीय रुपया पाउंड की तुलना में लगातार मजबूत हो रहा है। इसके पीछे की एक वजह यह भी है कि इस समय भारत की स्थिति बेहतर है और एक्सपर्ट का कहना है कि भारत में मंदी आने की कोई संभावना नहीं है।
डॉलर क्यों हो रहा मजबूत?
डॉलर के लगातार मजबूत होने से दुनिया भर की करेंसी पर असर दिखने लगा है। रुबेल से लेकर पाउंड और यूरो की कीमतों में भी बदलाव देखा जा रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण हैं अमेरिका द्वारा लगातार अपने नीतिगत फैसलों में उलटफेर करना। हाल ही में Fed ने भी 0.75 बेसिस प्वाइंट की टैक्स रेट में वृद्धि की थी। Fed अमेरिका का केंद्रीय बैंक है। टैक्स रेट में वृद्धि करने से दुनिया भर के इन्वेस्टर को अमेरिका आकर्षित करने लगा, क्योंकि अगर आप अमेरिका में पैसा इन्वेस्ट करते हैं तो आपको पहले की तुलना में ज्यादा रिटर्न मिलेगा। दूसरी सबसे बड़ी बात यह होगी कि इन्वेस्टर को करेंसी डॉलर में कंवर्ट भी नहीं करनी पड़ेगी। किसी भी देश में जब निवेश बढ़ता है तो उसकी अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और इसका असर उस देश की करेंसी पर भी देखने को मिलता है। यही कारण हैं कि USD लगातार मजबूत होती जा रही है।
जैसा कि हम जानते हैं कि अमेरिकी डॉलर एक वैश्विक मुद्रा है। दुनिया भर केंद्रीय बैंको में जो विदेशी मुद्रा भंडार है उसका 64% अकेले अमेरिकी डॉलर है। दुनिया भर में अधिकतर देश डॉलर में व्यापार करते हैं। यही सब कारण अमेरिकी डॉलर को और मजबूत बनाता है। इस समय दनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश अमेरिका है। उसके पास 25,350 अरब डॉलर की संपत्ति है।
पाउंड की हालत इतनी खराब क्यों?
हाल ही में वहां चुनाव हुए हैं। जानकारों का कहना है कि आगे की नीति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इसके चलते पाउंड लगातार टूट रहा है। इसकी दूसरी और यूरोपीय यूनियन से बाहर निकलना ब्रिटेन को भारी पड़ रहा है। इसका नुकसान ब्रिटेन के व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है। उन्हें पहले की तुलना में अधिक टैक्स देना पड़ रहा है। पहले जब ब्रिटेन EU का हिस्सा था तब यूरोपीय यूनियन में शामिल किसी भी देश से व्यापार करने के लिए टैक्स नहीं देना पड़ता था। उससे उसकी अर्थव्यवस्था को काफी फायदा मिलता था जो अब बंद हो गया है। इस समय वहां महंगाई भी चरम पर है। लोगों को रोजगार कम मिल रही है। ये समस्या सिर्फ ब्रिटेन में ही नहीं बल्कि उसके अन्य पड़ोसी देशों में भी है।
Latest Business News