India will become $10 trillion economy: भारत मजबूत स्थिति के साथ G20 देशों का नेतृत्व करने के लिए तैयार है और अगले साल G20 अध्यक्ष के रूप में वह दुनिया पर अपनी छाप छोड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने गुरुवार को यह बात कही। भारत एक दिसंबर, 2022 से एक वर्ष के लिए G20 की अध्यक्षता करेगा। इस दौरान भारत द्वारा देश भर में G20 की 200 से अधिक बैठकों की मेजबानी करने की उम्मीद है।
9-10 सितंबर, 2023 को भारत में होगा G20 सम्मेलन
राष्ट्राध्यक्षों या शासनाध्यक्षों के स्तर पर G20 नेताओं का शिखर सम्मेलन 9-10 सितंबर, 2023 को नयी दिल्ली में आयोजित होगा। IMF और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक के मौके पर यहां पत्रकारों से जॉर्जिवा ने कहा, ‘‘भारत इस निराशाजनक माहौल में एक उम्मीद का केंद्र कहलाने का हकदार है। वह एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, यहां तक कि इस कठिन समय में भी। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि यह वृद्धि संरचनात्मक सुधारों पर आधारित है।’’ उन्होंने आगे कहा कि भारत संरचनात्मक सुधारों में आगे हैं और उसने डिजिटलीकरण में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। जॉर्जिवा ने कहा, ‘‘इसलिए, देश अब मजबूत स्थिति के साथ G20 में आगे बढ़ने की ओर कदम बढ़ा रहा है। ऐसे में मुझे पूरा भरोसा है कि भारत अगले साल अध्यक्षता (जी20 की) के दौरान दुनिया पर अपनी गहरी छाप छोड़ेगा।’’ उन्होंने कहा कि यह छाप डिजिटल मनी सहित डिजिटलीकरण के क्षेत्र में हो सकती है। यह संस्थानों में अधिक निष्पक्षता लाने के क्षेत्र में हो सकता है।
भारत में डिजिटलीकरण की वजह से हुआ बड़ा बदलाव
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने भारत के डिजिटलीकरण के प्रयासों की सराहना करते हुए बुधवार को कहा कि यह कदम बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला रहा है क्योंकि इससे भारत की सरकार के लिए ऐसे काम करना संभव हुआ है जो अन्यथा बेहद कठिन होते। गोरिंचेस ने भारत के डिजिटलीकरण के प्रयासों के बारे में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘डिजिटलीकरण कई पहलुओं में मददगार रहा है। पहला है वित्तीय समावेश क्योंकि भारत जैसे दशों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो बैंकिंग प्रणाली से नहीं जुड़े हैं। अब डिजिटल वॉलेट तक पहुंच होने से वे लेनदेन में सक्षम हो पाए हैं।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इससे (डिजिटलीकरण से) (भारत) सरकार बहुत से ऐसे काम कर पाई जो अन्यथा बेहद कठिन होते। हां, इससे बहुत बड़े बदलाव आए हैं। यह निश्चित ही स्वागतयोग्य है। लोगों को अधिक आधुनिक अर्थव्यवस्था में लाने के लिहाज से भी यह एक बड़ा मददगार है। यह वृद्धि का कारक है और डिजिटल व्यवस्था में प्रवेश होने से बाजार भी बदल जाते हैं।’’
"10,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत को करने होंगे कुछ सुधार"
IMF के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘भारत के लिए एक और महत्वपूर्ण बात मेरे खयाल से यह है कि इन डिजिटल पहलों से सरकार पहुंच बना पाईं और वितरण प्रणाली को लोगों तक पहुंचा सकी जो परंपरागत तरीकों से काफी मुश्किल होता।’’ गोरिंचेस ने कहा कि भारत ऐसे वक्त में एक चमकदार रोशनी की तरह उभरा है जब दुनिया मंदी के आसन्न संकट का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि 10,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने के लिए भारत को महत्वपूर्ण ढांचागत सुधार करने होंगें। उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य पाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पहले कई देशों को बहुत तेज दर के साथ वृद्धि करते और तेजी से विकसित होते देखा है। हां, यह कोई आसान काम नहीं है, भारत जैसी अर्थव्यवस्था के लिए अपार संभावना है लेकिन अपने लक्ष्य को पाने के लिए भारत को अनेक ढांचागत सुधार करने होंगे।’’
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