पेट्रोल की कीमतों में दिवाली से होली के बीच मिली राहत अब धुंए में उड़ चुकी है। बीते 14 दिनों में पेट्रोल 9.20 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है। सिर्फ 2 दिन छोड़ दें तो पेट्रोलियम कंपनियां हर दिन अस्सी-अस्सी पैसा पेट्रोल महंगा कर रही हैं, और आम आदमी तिल-तिल कर महंगाई में पिसता जा रहा है। भारत की आजादी के इतिहास में यह शायद पहली दफा है कि सिर्फ दो हफ्तों में पेट्रोल के दाम 9 रुपये से ज्यादा बढ़ गए हैं।
आम आदमी पेट्रोलियम कंपनियों की 80 पैसे की स्थाई दर पर भी सवाल उठा रहे हैं। लेकिन कीमतों में वृद्धि इन कंपनियों की मजबूरी भी है। जब चुनावों के चलते भारत में दिवाली से होली के बीच कीमतें स्थिर थीं तब क्रूड आयल 80 डॉलर प्रति बैरल से 140 डॉलर प्रति बैरल की परिक्रमा लगा आया है। फिलहाल क्रूड भले ही 100 डॉलर के करीब है, लेकिन भारत में कीमतों की इस बंदिश ने तेल कंपनियों पर 19000 करोड़ रुपये का भारी भरकम बोझ जरूर डाल दिया है।
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पहली बार 80 पैसे का फ्लैट बदलाव
बीते साल तक भी तेल कंपनियां पेट्रोल डीजल की कीमतों में रोजाना बदलाव करती रही हैं। लेकिन यह वृद्धि स्थाई नहीं थी। लेकिन मार्च 2022 के बाद से वृद्धि इतनी स्थाई है कि हर कोई तेल की कीमतों में वृद्धि की भविष्यवाणी कर सकता है। चाहें पेट्रोल हो या डीजल तेल के दाम 80 पैसे बढ़ना लगभग फिक्स है।
जानिए कैसे कैसे बढ़ी कीमतें
पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी का सिलसिला 22 मार्च को शुरू हुआ था। तब दिल्ली में पेट्रोल 95.41 रुपये और डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर पर था। जो आज 104.61 रुपए प्रति लीटर और 95.87 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया है। इससे पहले बीते साल पर गौर करें तो कीमतों में प्रति माह औसत वृद्धि 3 रुपये की रही है। सिर्फ अक्टूबर 2021 में एक महीने में कीमतें 101.89 रुपये से 109.34 रुपये पहुंची थीं।
Image Source : filePetrol Price history
2021 की सबसे बड़ी मासिक वृद्धि
- जनवरी 2021 : 83.71 से 86.34 पहुंची
- फरवरी 2021 : 86.34 से 91.21 पहुंची
- मई 2021 : 90.44 से 94.29 पहुंची
- जून 2021 : 94.55 से 98.87 पहुंची
- जुलाई 2021 : 98.87 से 101.90 पहुंची
- अक्टूबर 2021 : 101.89 से 109.34 पहुंची
लोगों को आई यूपीए में 7 रुपये की वृद्धि की याद
पेट्रोल डीजल की कीमतों में तेजी से हर कोई हलाकान है। पुरानी याददाश्त वाले लोग इस तेजी में भी यूपीए सरकार के फैसले के सहारे ठंडी आह ले रहे हैं। आपको याद दिला दें कि मई 2012 में कच्चे तेल 14.5 डॉलर में तेजी और रुपये में 3.2 प्रतिशत की गिरावट को देखते हुए मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में एक साथ 7.54 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि कर दी थी। उस वक्त तेल के दाम में बदलाव रात 12 बजे से होते थे, ऐसे में पेट्रोल पंप के बाहर मीलों लंबी लाइन लग गई थी।
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