कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की ईपीएस-95 योजना के दायरे में आने वाले पेंशनभोगियों की न्यूनतम पेंशन 7,500 रुपये मासिक किये जाने समेत अन्य मांगों को लेकर पेंशनभोगी बुधवार से राष्ट्रीय राजधानी समेत देश के 200 शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे। ईपीएस 95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति (एनएसी) ने मंगलवार को एक बयान में कहा, “ईपीएस-1995 के लाभार्थियों ने अपनी मांगों के साथ 15 मार्च से राष्ट्रीय राजधानी समेत 200 शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू करने का फैसला किया है। इन मांगों में पेंशन बढ़ाकर 7,500 रुपये मासिक करने के साथ-साथ महंगाई भत्ता देने, ईपीएस-95 पेंशनभोगियों को बिना किसी भेदभाव के उच्च पेंशन का विकल्प देने तथा उनके जीवनसाथी को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना शामिल है।
पूर्व में कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के दायरे में आने वाले पेंशनभोगियों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मुलाकात कर चुका है और महाराष्ट्र के बुलढाणा में 2018 से विरोध प्रदर्शन जारी है। राष्ट्रीय संघर्ष समिति (एनएसी) के संयोजक अशोक राऊत ने बयान में कहा, “हमारा संघर्ष ईपीएस-1995 के लाभार्थियों को न्याय दिलाने के लिए है और यह पिछले सात साल से जारी है।
भाजपा सांसद हेमा मालिनी की अगुवाई में हमने दो बार प्रधानमंत्री से मुलाकात की और उन्होंने हमें आश्वासन दिया लेकिन मामला अभी भी लंबित है।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जनता के लाभ के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन सरकार के नियमों के आधीन पेंशन फंड में अंशदान करने बाद भी हमें हाशिये पर धकेल दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि कर्मचारी पेंशन योजना, 95 के तहत आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन का 12 प्रतिशत हिस्सा भविष्य निधि में जाता है। वहीं नियोक्ता के 12 प्रतिशत हिस्से में से 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है। इसके अलावा पेंशन कोष में सरकार भी 1.16 प्रतिशत का योगदान करती है। राऊत ने दावा किया कि जीवनभर पेंशन फंड में पैसे जमा करने के बाद आज औसतन मात्र 1,171 रुपये पेंशन मिलती है। यह पर्याप्त नहीं है। लेकिन अगर उन्हें 7,500 रुपये और महंगाई भत्ता मिले तो वह सम्मान के साथ रह सकते हैं।
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