Pending project Report: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र में सबसे अधिक 300 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। इसके बाद 119 परियोजनाओं के साथ रेलवे और 90 परियोजनाओं के साथ पेट्रोलियम क्षेत्र का स्थान है। एक सरकारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग से संबंधित 825 परियोजनाओं में 300 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। रेलवे की 173 परियोजनाओं में 119 परियोजाएं देरी से आगे बढ़ रही हैं। पेट्रोलियम क्षेत्र की 142 परियोजनाओं में 90 परियोजाएं पिछड़ी हुई हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है।
फास्ट ब्रीडर रिएक्टर सबसे लंबित परियोजना
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (भाविनी) द्वारा निर्मित 500 मेगावाट का प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर सबसे विलंबित परियोजना है। इसमें 168 महीने की देरी हुई है। दूसरी सबसे विलंबित परियोजना एनएचपीसी की पार्वती-2 जलविद्युत परियोजना है, जिसमें 162 महीने की देरी हुई है। तीसरी सबसे विलंबित परियोजना एनएचपीसी की सुबनसिरी लोअर हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना है, जिसमें 155 महीनों की देरी हुई है। रिपोर्ट में सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र के बारे में कहा गया है कि 825 परियोजनाओं की स्वीकृति के वक्त कुल मूल लागत 4,90,792.42 करोड़ रुपये थी। बाद में इसके बढ़कर 5,37,163.29 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इस तरह लागत करीब 9.4 प्रतिशत बढ़ गई।
परियोजनाओं की कुल लागत इतनी बढ़ी
इसी तरह रेलवे की 173 परियोजनाओं की कुल मूल लागत 3,72,761.45 करोड़ रुपये थी, जो बाद में बढ़कर 6,12,578.9 करोड़ रुपये हो गई। इनकी लागत 64.3 प्रतिशत बढ़ गई। पेट्रोलियम क्षेत्र की 142 परियोजनाओं की कुल मूल लागत 3,73,333.65 करोड़ रुपये थी, जो बढ़कर 3,93,008.38 करोड़ रुपये हो गई।
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