Pakistan News: नकदी संकट के बीच भीषण बाढ़ की चपेट में आए पाकिस्तान ने समृद्ध देशों के समूह ‘पेरिस क्लब’ से दस अरब डॉलर के कर्ज की भुगतान अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया है। पाकिस्तान इन दिनों भीषण बाढ़ के बाद 3.3 करोड़ से अधिक लोगों के पुनर्वास की चुनौती से जूझ रहा है। ऐसी स्थिति में उसने कर्ज के मोर्चे पर कुछ राहत की उम्मीद लगाई हुई है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन की वजह से आई आपदा की वजह से हम द्विपक्षीय पेरिस क्लब लेनदारों से कर्ज राहत का अनुरोध करते हैं। हालांकि हम वाणिज्यिक बैंकों या यूरो में लेनदेन करने वाले कर्जदाताओं से किसी तरह की राहत नहीं मांग रहे और न ही हमें इसकी जरूरत है।’’
पहले भी बढ़ाई गई समय सीमा
बीते 20 वर्षों में यह तीसरी बार होगा जब 17 सदस्यीय पेरिस क्लब पाकिस्तान के कर्ज की भुगतान अवधि में बदलाव करेगा। इससे पहले, जब पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के साथ सहयोगी बना था तब पेरिस क्लब ने कर्ज चुकता करने की अवधि 15 वर्ष के लिए बढ़ा दी थी। फिर, कोविड-19 के बाद इस अवधि को तीन से चार वर्ष के लिए बढ़ाया गया। न्यूयॉर्क में मौजूद इस्लाइल ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘हम पेरिस क्लब के कर्ज भुगतान को कुछ वर्ष के लिए टालने का अनुरोध करेंगे।’’
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से भी कर्ज मांगा
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने इस्माइल के हवाले से बताया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से भी तीन अरब डॉलर के बाकी कर्ज की अग्रिम राशि इस वर्ष नवंबर तक देने का अनुरोध किया है। इस वर्ष पाकिस्तान को 10 अरब डॉलर के कुल कर्ज में से पेरिस क्लब को 1.1 अरब डॉलर का भुगतान करना है। पिछले तीन दशकों की सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहे पाकिस्तान को इस स्थिति से निपटने के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय कर्जों के पुनर्भुगतान को फिलहाल रोकने के साथ ही कर्जों के पुनर्गठन के बारे में भी प्रयास करना चाहिए। स्थानीय मीडिया में संयुक्त राष्ट्र ज्ञापन का हवाला देते हुए यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। पाकिस्तानी समाचारपत्र 'द डॉन' में शुक्रवार को प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने पाकिस्तान सरकार के साथ साझा किए गए एक ज्ञापन में कहा है कि बाढ़ की विभीषिका से निपटने के लिए पहले से ही वित्तीय संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान को कर्ज पुनर्गठन एवं पुनर्भुगतान के संबंध में अपने रुख को संशोधित करने की जरूरत है।
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