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Hindi News पैसा बिज़नेस Cash के लिए बिलबिला रहा पाकिस्तान, अर्थव्यवस्था अब भी नाजुक, IMF के पास लेकर जाना होगा बड़ा कटोरा

Cash के लिए बिलबिला रहा पाकिस्तान, अर्थव्यवस्था अब भी नाजुक, IMF के पास लेकर जाना होगा बड़ा कटोरा

पाकिस्तान की कुल विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल 12.6 अरब डॉलर है। खुदरा महंगाई मौजूदा साल में जुलाई से सितंबर के बीच 29 प्रतिशत दर्ज किया गया है।

पाकिस्तान में आटे की बोरी लेने के लिए जमा आम लोग। - India TV Paisa Image Source : FILE पाकिस्तान में आटे की बोरी लेने के लिए जमा आम लोग।

पाकिस्तान लगातार कैश की किल्लत से जूझ रहा है। इकोनॉमी अब भी नाजुक बनी हुई है। पाकिस्तान की कार्यवाहक वित्त मंत्री शमशाद अख्तर ने शुक्रवार को कहा है कि देश को कुछ समय के लिए आईएमएफ से अधिक कर्ज लेना होगा। भाषा की खबर के मुताबिक, समाचार पत्र ‘डॉन’ में की खबर में कहा गया है कि अख्तर ने इस बात पर भी जोर दिया कि पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बड़े वित्त सुधार करने की जरूरत है। अख्तर ने कहा कि अगला अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम बेहद जरूरी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था में स्थिरता आई है लेकिन यह अब भी बहुत नाजुक है।

देश इसके बिना नहीं बचेगा

खबर के मुताबिक, मंत्री ने कहा कि जब तक हम निर्यात और घरेलू संसाधनों को बढ़ाने में सक्षम नहीं हो जाते, हमें एक और कार्यक्रम की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने यह टिप्पणी पाकिस्तान सरकार और आईएमएफ द्वारा कर्मचारी स्तर के समझौते के साथ जारी तीन अरब अमेरिकी डॉलर के ‘स्टैंड-बाय’ समझौते की समीक्षा के समापन के एक दिन बाद की।

इस समझौते से पाकिस्तान को दूसरी किस्त में 70 करोड़ अमेरिकी डॉलर मिलने का रास्ता साफ हुआ है। अख्तर ने कहा कि दीर्घकालिक सुधारों के अलावा अब कोई और विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि देश इसके बिना नहीं बचेगा। संभवतः हमें एक और विस्तारित फंड सुविधा चाहिए होगी। हम आईएमएफ के साथ बने रहेंगे।

पाकिस्तान का आर्थिक संकट

पाकिस्तान की इकोनॉमी खस्ताहाल से गुजर रही है। पाकिस्तान की कुल तरल विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल 12.6 अरब डॉलर है। खुदरा महंगाई की बात करें तो यह मौजूदा साल में जुलाई से सितंबर के बीच 29 प्रतिशत दर्ज किया गया है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023 में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तेजी से धीमी हो गई और वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में 0.6% की गिरावट का अनुमान है। आर्थिक गतिविधि में गिरावट के पीछे 2022 की बाढ़, आयात और पूंजी प्रवाह पर सरकारी प्रतिबंध, घरेलू राजनीतिक अनिश्चितता, बढ़ती दुनिया सहित घरेलू और बाहरी झटकों को दर्शाती है। कमोडिटी की कीमतें आसमान पर हैं।

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