Pakistan Crisis: भारत की तरह पाकिस्तान भी इस साल अपनी आजादी के 75 साल का जश्न मना रहा है। एक साथ आजाद हुए दो देश शुरू से विपरीत दिशा में चले। जहां भारत अंतरिक्ष से लेकर टेक्नोलॉजी की दुनिया में धाक जमा रहा है, वहीं पाकिस्तान कंगाली की कगार पर है। इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने खुद स्वीकार कर लिया है कि पाकिस्तान आर्थिक रूप से गुलाम बन गया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर सीधा आरोप लगाते हुए उसे पाकिस्तान की बरबादी का कारण बताया है। शहबाज शरीफ ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी आईएमएफ ने नकदी की कमी वाले देश को ’आर्थिक रूप से गुलाम’ बनाया हुआ है और अर्थव्यवस्था वैश्विक संस्थान पर निर्भर है।
खस्ताहाल में पाकिस्तान
पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, आईएमएफ से कर्ज मिलने में देरी और रुपये के अवमूल्यन का अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। हालत यह है कि मामूल से घाव अब नासूर बन गए हैं। भारी कर्ज के तले दबे देश ने संकट से बाहर आने के लिये मुद्राकोष से आपातकालीन आधार पर वित्तीय सहायता मांगी है।
शरीफ का छलका दर्द
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पेशावर शहर में बाढ़ प्रभावित इलाके के दौरे के दौरान एक सवाल के जवाब में शरीफ ने कहा, ’हमने अपनी आजादी के बाद से पिछले 75 वर्षों में क्या किया है, आईएमएफ ने हमें आर्थिक रूप से गुलाम बना दिया है।’
पाकिस्तान के लिए 75 साल में सबसे बुरे हालात
टेलीविजन चैनल जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा कि गठबंधन सरकार देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिये चुनौतीपूर्ण फैसले ले रही है। सरकार को कई मोर्चों पर कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान ने पिछले महीने आईएमएफ के साथ कर्मचारी स्तर पर समझौता किया। उसके बाद सरकार ने ईंधन और बिजली सब्सिडी को समाप्त करने के साथ कर दायरा बढ़ाने के उपाय किये हैं।
IMF से ही आखिरी उम्मीद
पाकिस्तान जल्द से जल्द प्रोत्साहन पैकेज की उम्मीद कर रहा है लेकिन मुद्राकोष ने अबतक कोष की किस्त जारी नहीं की है। शरीफ ने बार.बार पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने लोगों के बीच लोकप्रियता बनाये रखने के लिये जानबूझकर आईएमएफ की शर्तों का उल्लंघन किया था।
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