पाकिस्तान अपनी आजादी के 75वें साल में अब तक के सबसे गंभीर आर्थिक संकट (Pakistan Economic Crisis) का सामना कर रहा है। पाकिस्तान (Pakistan Foreign Reserve) का सरकारी खजाना खाली पड़ा है, देश पर भारी भरकम कर्ज है। इस बीच हाल ही में गहरे वित्तीय संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान की बागडोर संभालने वाले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पाकिस्तान की नाकामी को साफगोई से स्वीकार किया है।
Shehbaz Sharif का कहना है कि संरचनात्मक खामियों की वजह से Pakistan आर्थिक परवान नहीं भर पाया और आज के समय में आर्थिक दुश्वारियों में उलझा हुआ है। शरीफ ने पाकिस्तान की आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर पत्रिका ‘द इकनॉमिस्ट’ में लिखे अपने एक लेख में पाकिस्तान के मौजूदा आर्थिक संकट पर रोशनी डाली है।
60 के दशक में शेर 2022 में ढेर
शरीफ ने अपने लेख में कहा है कि संरचनात्मक खामियों की वजह से पाकिस्तान की वृद्धि पर असर पड़ा और बार-बार यह उछाल एवं गिरावट के भंवर में फंसता रहा। शरीफ ने कहा है कि 1960 के दशक में पाकिस्तान को उम्मीद और वादे से भरपूर देश के रूप में देखा जाता था और उसके ‘अगला एशियाई बाघ’ बनने की संभावना जताई जाती थी। लेकिन वर्ष 2022 में हालात ऐसे हो गए हैं कि पाकिस्तान आर्थिक संकट में फंस चुका है। उन्होंने इस स्थिति के लिए मौजूदा अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के अलावा लंबे समय से कायम घरेलू कमजोरियों को भी जिम्मेदार बताया है।
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पिछड़ता गया पाकिस्तान
संरचनात्मक खामियों को दूर करने पर भी अधिक ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक परिवेश का तेजी से ध्रुवीकृत होना और स्वास्थ्य, शिक्षा एवं ढांचागत विकास जैसे बुनियादी पहलुओं पर समुचित निवेश न करने के अलावा भूमंडलीकरण के लाभों का दोहन करने से वंचित रह जाने से पाकिस्तान पिछड़ता चला गया है।
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खपत आधारित अर्थव्यवस्था बना पाकिस्तान
शरीफ ने कहा, ‘‘आज के समय में पाकिस्तान दुनिया की सबसे ज्यादा खपत आधारित अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हमारे सकल घरेलू उत्पाद में 90 प्रतिशत से अधिक अंशदान खपत का है। इसके उलट हम अपने उत्पादन का सिर्फ 15 प्रतिशत निवेश करते हैं और महज 10 प्रतिशत निर्यात करते हैं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश जीडीपी के एक प्रतिशत से भी कम है।’’ उन्होंने कहा कि ये आर्थिक आंकड़े पाकिस्तान को अपने अंदर झांकने के लिए मजबूर करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह स्थिति हमारे आर्थिक मॉडल में मौजूद खामियों को दर्शाती है। कोई भी देश कभी भी इस तरह बढ़ नहीं पाया है।’’
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