खरीफ फसलों की सुस्त बुवाई ने बढ़ाई सरकार की टेंशन, मानसून की बेरुखी से इस साल चावल पर पड़ सकती है महंगाई का मार
पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में मानसून में 24 प्रतिशत की कमी रही। हालांकि दो अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान पूरे देश में मानसूनी बारिश में चार प्रतिशत की कमी रही।
देश के खेतों से खरीफ फसलों की बुवाई का जो आंकड़ा आ रहा है, उससे सरकार की चिंताएं बढ़ने लगी हैं। चावल उत्पादक राज्यों में बारिश की कमी के चलते धान की बुवाई का रकबा घट रहा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ सत्र में अबतक धान की बुवाई का कुल रकबा 3.38 प्रतिशत बढ़कर 283 लाख हेक्टेयर हो गया है। हालांकि, चार राज्यों में इसकी खेती का रकबा कम है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। धान मुख्य ख़रीफ़ फसल है। इसकी खेती का रकबा चार राज्यों ओडिशा, कर्नाटक, असम और आंध्र प्रदेश में पिछड़ रहा था। एक साल पहले की समान अवधि में 273.73 लाख हेक्टेयर में धान की फसल बोई गई थी।
पूर्वी भारत से रूठा मानसून
मौसम विभाग के मुताबिक, एक जून से दो अगस्त तक कुल मिलाकर मानसून चार प्रतिशत ज्यादा रहा। पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में मानसून में 24 प्रतिशत की कमी रही। हालांकि दो अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान पूरे देश में मानसूनी बारिश में चार प्रतिशत की कमी रही। अकेले उत्तर-पश्चिम भारत और पूर्व/उत्तर-पूर्व भारत में यह घाटा 19 प्रतिशत था।
जानिए चार अगस्त तक कहां कितनी हुई बुवाई
- ओडिशा में धान का रकबा 12.35 लाख हेक्टेयर था, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 16.41 लाख हेक्टेयर था।
- असम में भी धान का रकबा 14 लाख हेक्टेयर के मुकाबले अब तक 12.45 लाख हेक्टेयर पर कम है,
- आंध्र प्रदेश में यह पिछले साल की समान अवधि के 6.66 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस बार 5.48 लाख हेक्टेयर है।
- कर्नाटक में चालू ख़रीफ़ सत्र में चार अगस्त तक धान का रकबा घटकर 2.23 लाख हेक्टेयर रह गया, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 3.24 लाख हेक्टेयर था।
दलहन को लेकर चिंता ज्यादा
दलहन के मामले में अबतक खेती का रकबा 106.88 लाख हेक्टेयर यानी पीछे चल रहा है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 117.86 लाख हेक्टेयर था। प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में दालों के खेती का रकबा कम रहा। मोटे अनाजों की बुवाई का रकबा चार अगस्त को थोड़ा बेहतर होकर 164.20 लाख हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 162.43 लाख हेक्टेयर था। तिलहन खेती का भी रकबा थोड़ा बेहतर है और अबतक यह 179.56 लाख हेक्टेयर है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 175.10 लाख हेक्टेयर था।
अन्य फसलों का हाल
- गन्ने का रकबा चालू खरीफ सत्र में चार अगस्त तक 56.06 लाख हेक्टेयर से अधिक रहा, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 54.67 लाख हेक्टेयर था।
- कपास का रकबा उक्त अवधि के 120.94 लाख हेक्टेयर के मुकाबले थोड़ा घटकर 119.21 लाख हेक्टेयर रहा।
- जूट/मेस्ता की बुवाई का कुल रकबा भी इस सत्र में चार अगस्त तक थोड़ा कम यानी 6.55 लाख हेक्टेयर रहा, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 6.94 लाख हेक्टेयर था।