प्याज का गहराया संकट, कीमतों को लेकर आई ये बड़ी भविष्यवाणी
महाराष्ट्र प्याज के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, जिसका देश के प्याज उत्पादन में 40 प्रतिशत का योगदान है।
प्याज को काटने पर आंसू छलकते हैं, लेकिन देश के प्याज किसानों के इसे बेचने में आंसू निकल रहे हैं। एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज 2 से 4 रुपये में बिक रहा है। बंपर फसल लेकर मंडी पहुंचे किसानों को मिट्टी के मोल प्याज बेचना पड़ रहा है। परेशान किसानों ने मंडी में प्याज बेचना ही बंद कर दिया है। लेकिन ये परेशानी क्यों आई और अभी किसानों को और कितने दिनों कीमतों का यह संकट झेलना होगा, इसे लेकर अब विशेषज्ञों की राय सामने आई है।
विशेषज्ञों के अनुसार मार्च के मध्य में रबी या सर्दियों की कम क्षति वाली फसल के बाजार में आने तक प्याज की कीमतों में गिरावट बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि बाजार में आपूर्ति की भरमार है, जिसके कारण किसानों को उपज के लिए उनकी लागत का बहुत कम हिस्सा ही मिल रहा है और इससे नाराज किसानों ने सोमवार को महाराष्ट्र के एशिया के सबसे बड़े बाजार लासलगांव में व्यापार करना बंद कर दिया है।
विशेषज्ञों ने बताए ये प्रमुख कारण
स्वतंत्र कृषि क्षेत्र के विश्लेषक दीपक चव्हाण ने बताया कि मौजूदा संकट के कई कारण हैं, जिसके कारण किसानों ने घबराहट में बिक्री शुरू कर दी है क्योंकि देर से निकाली गई खरीफ फसल कुछ ही समय में खराब हो जाती है। उन्होंने इस बारे में सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। चव्हाण ने कहा कि अधिक किसानों ने इस साल खरीफ किस्म के बजाय 'पछेती खरीफ' किस्म की बुवाई की, जिससे रकबे में वृद्धि हुई और अनुमान है कि उत्पादकता में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है, जिससे मौजूदा स्थिति बनी हुई है।
कब बढ़ेंगी कीमतें
लंबे समय तक बारिश से बुवाई में देरी हुई और कई किसानों ने 'पछेती खरीफ' (देर से बोई जाने वाले खरीफ प्याज) किस्म को चुना। चव्हाण ने कहा कि रबी की आवक शुरू होने तक मार्च के मध्य तक कीमतों में गिरावट बनी रहेगी और आवक के ज्यादा समय तक चलने के साथ ही व्यापारी इस जिंस के लिए ऊंची कीमत देंगे। महाराष्ट्र प्याज के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, जिसका देश के प्याज उत्पादन में 40 प्रतिशत का योगदान है।