Pension Scheme: इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन योजना को लेकर अपना फैसला सुनाया था, जिसमें उच्चतम न्यायालय ने कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना 2014 को बरकरार रखा था। अब 2014 से पहले विस्तारित पेंशन कवरेज को न अपनाने वाले पात्र कर्मचारी भी अगले चार महीने में इसका हिस्सा बन सकते हैं। इस फैसले के बाद एक सितंबर 2014 तक ईपीएस के मौजूदा सदस्य रहे कर्मचारी अपने 'वास्तविक' वेतन का 8.33 फीसदी तक योगदान दे सकते हैं। पहले वे पेंशन-योग्य वेतन का 8.33 फीसदी योगदान ही दे पाते थे और इसकी भी अधिकतम सीमा 15,000 रुपये प्रतिमाह तय थी, लेकिन अब कर्मचारी इस योजना में अधिक योगदान दे सकेंगे और अधिक लाभ भी पा सकेंगे।
कोर्ट ने शुक्रवार को किया था निरस्त
इसके साथ ही न्यायालय ने 2014 के संशोधनों में उन शर्त को शुक्रवार को निरस्त कर दिया जिसमें कर्मचारी के लिए 15,000 प्रतिमाह से अधिक के वेतन का 1.16 फीसदी योगदान अनिवार्य किया गया था। कर्मचारी संगठनों ने मांग की है कि सरकार पेंशन कोष ईपीएफओ के केंद्रीय बोर्ड के न्यासियों की असाधारण बैठक बनाए ताकि शीर्ष अदालत के आदेश को जल्द लागू किया जा सके।
अगस्त 2014 में पेंशन योजना में संशोधन करते हुए पेंशन योग्य वेतन की अधिकतम सीमा 15,000 रुपये प्रतिमाह कर दी गई थी जो पहले 6,500 रुपये प्रतिमाह थी। इससे सदस्य और उनके नियोक्ता के लिए वास्तविक वेतनों का 8.33 फीसदी योगदान संभव हो सका।
क्या खासियत है पुराने पेंशन योजना की?
- पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं
- GPF (General Provident Fund) की सुविधा
- सुरक्षित पेंशन योजना है. इसका भुगतान सरकार की ट्रेजरी के जरिए किया जाता है
- OPS में रिटायरमेंट के समय अंतिम बेसिक सैलरी के 50 फीसदी तक निश्चित पेंशन मिलती है
- रिटायरमेंट के बाद 20 लाख रुपए तक ग्रेच्युटी मिलती है
- सर्विस के दौरान मौत होने पर फैमिली पेंशन का प्रावधान है
- रिटायरमेंट के समय पेंशन प्राप्ति के लिए GPF से कोई निवेश नहीं करना पड़ता है
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