देश में युवा कारोबारी तैयार करने और स्वरोजगार का माहौल तैयार करने के लिए मोदी सरकार की मुद्रा स्कीम पटरी से उतरती दिख रही है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार छोटे कारोबारी बैंकों से मुद्रा लोन ले तो रहे हैं, लेकिन लोन की अदायगी को लेकर उनका रिकॉर्ड बेहद खराब है।
महाराष्ट्र के राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की रिपोर्ट के अनुसार इंडस्ट्री और कारोबार के क्षेत्र में देश के अव्वल राज्य की तस्वीर पेश की है। रिपोर्ट के अनुसार छोटे कारोबारियों की मदद के लिए चलाई गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत दिए गए कर्ज में से महाराष्ट्र में जून, 2022 तक करीब 5,000 करोड़ रुपये बकाया है। यह बैंक की कुल एसेट का 16.32 प्रतिशत है।
सबसे बुरा हाल परभणी जिले का
औरंगाबाद में हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक के दौरान जारी आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र के परभणी जिले में नॉन पर्फोर्मिंग एसेट (एनपीए) सबसे अधिक 60.54 प्रतिशत है। परभणी जिले में बकाया ऋण राशि 759 करोड़ रुपये है, जिसमें से 459 करोड़ रुपये एनपीए है।
जिला | NPA | प्रतिशत |
परभणी | 459 करोड़ | 60.54 |
हिंगोली | 111 करोड़ | 33.31 |
मुंबई | 248 करोड़ | 29.97 |
राजन ने योजना को लेकर किया था आगाह
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना अप्रैल 2015 में गैर-कॉरपोरेट और गैर-कृषि लघु/सूक्ष्म उद्यमों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई थी। इस योजना की शुरुआत के बाद से ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन समेत कई विशेषज्ञों ने उच्च एनपीए की आशंका जताई थी और आगाह किया था।
52000 कारोबारियों ने लिया कर्ज
आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में 52 लाख से अधिक कर्जदारों ने मुद्रा योजना के तहत जून 2022 तक 30,019 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। इसमें से 6.19 लाख कर्जदारों द्वारा लिए गए 4,898 करोड़ रुपये के कर्ज को एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
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