Noida-ग्रेटर नोएडा में लगभग 3 लाख यूनिट्स में अब तक 1.25 लाख को ही मिल फ्लैट का पजेशन
रियल स्टेट सेक्टर में सबसे बड़े और अग्रणी दो नाम हुआ करते थे। एक आम्रपाली ग्रुप और दूसरा जेपी ग्रुप।
Highlights
- अम्रपाली ग्रुप, जिसमें लगभग 43,000 यूनिट लोगों के लिए तैयार किए जाने थे
- बिल्डर लगातार एनसीएलटी में जाकर खुद को दिवालिया घोषित करा रहे हैं
- जनता की गाढ़ी कमाई को बिल्डर्स ने जमकर लुटाया
Noida और ग्रेटर नोएडा में हर कोई अपना एक सपनों का घर बनाना चाहता है और इसके लिए लोग अपने जीवन भर की जमा पूंजी बिल्डर के हाथों में सौंप देते हैं। कुछ लाखों में देते हैं, कुछ करोड़ों में देते हैं, लेकिन लंबे वक्त तक इंतजार के अलावा लोगों को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। सबसे बड़ी बात है कि जिस तरीके से बिल्डर यहां पर लगातार डिफॉल्टर और एनसीएलटी में जाकर खुद को दिवालिया घोषित करते जा रहे हैं उससे यह लगता है कि कहीं ना कहीं आने वाले समय में लोगों का इंतजार और भी लंबा होने वाला है। आज ऐसे ही कुछ प्रोजेक्ट के बारे में हम आपको बताएंगे जो एनसीएलटी में जा चुके हैं और उन पर आईआरपी भी अप्वॉइंट हो चुका है। लेकिन लोगों का इंतजार अभी लंबा है।
बहुत सारे प्रोजक्ट में अभी भी अटके
सबसे पहले हम शुरूआत करते हैं जेपी इंफ्रा लिमिटेड की। जो गौतमबुद्ध नगर का सबसे बड़ा जमीन विक्रेता माना जाता था। यह हम इसलिए बता रहे हैं क्योंकि जेपी की अगर बात की जाए तो अकेले जेपी के सभी प्रोजेक्ट को मिला दिया जाए तो लगभग 50,000 यूनिट अकेले जेपी ग्रुप ही लोगों के लिए तैयार कर रहा था। चाहे वह जेपी अमन हो, चाहे जेपी विश टाउन, चाहे वह यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे जेपी की स्पोर्ट सिटी हो। सभी में जेपी लोगों को एक ऐसी सिटी देने का वादा करता है जो उनकी कल्पना से परे है। शुरूआत तो तेज हुई लेकिन जेपी के सभी प्रोजेक्ट लगभग बीच में ही अटक गए।
ठीक ऐसे ही है अम्रपाली ग्रुप, जिसमें लगभग 43,000 यूनिट लोगों के लिए तैयार किए जाने थे। आज एनसीएलटी में जाने के बाद उस पर अप्वॉइंट आईआरपी जल्द से जल्द उसका काम खत्म करा कर लोगों को उनके फ्लैट डिलीवर कर आने में लगा हुआ है। इसके साथ ही साथ सुपरटेक लिमिटेड। इस बिल्डर को हम बिल्कुल भी नहीं छोड़ सकते, क्योंकि ट्विन टावर का मामला अभी सबके जहन में बिल्कुल ताजा है। इस बिल्डर ने भी 25,000 से ज्यादा यूनिट्स समय पर लोगों को डिलीवर करने का वादा किया था। इसके साथ ही साथ एयरविल जिसमें 3000 यूनिट्स, आरजी ग्रुप जिसमें 1900 यूनिट, लोटस ग्रुप जिसमें 4200 यूनिट्स और लोटस बुलेवर्ड जिसमें 3300 आज भी लोगों को डिलीवर किए जाने बाकी हैं।
खड़ा कर दिया कमर्शियल प्रोजेक्ट
जनता की गाढ़ी कमाई को बिल्डर्स ने जमकर लुटाया। दोनों हाथों से पैसे लिए और अपने कमर्शियल प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा कर उनसे प्रॉफिट लेना शुरू कर दिया। नोएडा में आम्रपाली जेपी, लोटस 3सी, सुपरटेक जैसे तमाम बड़े नाम हैं जिन्होंने अपने निवेशकों से रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट के नाम पर बुकिंग कराई, पैसे लिए और उन प्रोजेक्ट्स को अधूरा छोड़ कर अपने कमर्शियल प्रोजेक्ट्स को पहले खड़ा कर लिया। उनमें कमर्शियल स्पेस देकर, किराए की दुकानों को देकर अपना मोटा प्रॉफिट कमाना शुरू कर दिया। जेपी बिल्डर की अगर बात करें तो जेपी ने विश प्वाइंट सेक्टर 134 नोएडा, पवेलियन आर्केड सेक्टर 128, कैलिस्टो आर्केड सेक्टर 128, जेपी कमर्शियल सेक्टर 133 नोएडा। इन सब को प्राथमिकता देते हुए इनको सबसे पहले तैयार करवा दिया। ठीक ऐसा ही दूसरे बिल्डर ग्रुप्स ने भी किया। उन्होंने भी अपने प्रोजेक्ट के पैसे रेजिडेंशियल फ्लैट ओनर से ले लिए और उनके प्रोजेक्ट को अधूरा छोड़ दिया। अपनी कमर्शियल प्रोजेक्ट को तेज रफ्तार से पूरा कर आगे बढ़ गए। जनता इस बात से परेशान है कि उन्हें उनके सपनों का घर नहीं मिल रहा है और वह अपने पूरे पैसे बिल्डर को दे चुके हैं और वही बिल्डर अब तरह-तरह की परेशानियों को बताकर उनसे अपने लिए समय मांगता रहता है। आश्वासन देता रहता है कि जल्द ही लोगों को घर मिल जायेगा।