देश में रोड एक्सीडेंट्स में होने वाली मौतें चिंता का विषय है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि भारत में युद्ध, आतंकवाद और नक्सलवाद से भी ज्यादा लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में होती है। भाषा की खबर के मुताबिक, गडकरी ने उद्योग मंडल फिक्की के सड़क सुरक्षा पुरस्कार और संगोष्ठी-2024 के छठे संस्करण को संबोधित करते हुए कहा कि सड़क परियोजनाओं की खराब विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के कारण ब्लैकस्पॉट्स (दुर्घटना संभावित क्षेत्र) की संख्या बढ़ रही है।
पांच लाख दुर्घटनाएं होती हैं हर साल
गडकरी ने कहा कि भारत में प्रतिवर्ष पांच लाख दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें 1.5 लाख लोगों की मृत्यु होती है, जबकि तीन लाख लोग घायल होते हैं। इससे देश को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तीन प्रतिशत का नुकसान होता है। बलि के बकरे की तरह हर दुर्घटना के लिए चालक को दोषी ठहराया जाता है। मैं आपको बता दूं, और मैंने बारीकी से देखा है कि ज्यादातर दुर्घटनाएं सड़क इंजीनियरिंग में खामी की वजह से होती हैं।
राजमार्गों के सुरक्षा ऑडिट की है जरूरत
केंद्रीय मंत्री ने सभी हाइवे के सुरक्षा ऑडिट की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दुर्घटनाओं की संख्या कम करने के लिए हमें लेन अनुशासन का पालन करने की जरूरत है। गडकरी ने कहा कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय एम्बुलेंस और उसके चालकों के लिए कोड तैयार कर रहा है, ताकि उन्हें सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को शीघ्र बचाने के लिए कटर जैसी अत्याधुनिक मशीनों के उपयोग का प्रशिक्षण दिया जा सके। आंकड़ों में समझें तो कैलेंडर साल 2022 में 4,61,312 रोड एक्सीडेंट्स हुए जिसमें 1,68,491 लोगों की जान चली गई और 4, 43,366 लोग घायल हुए।
जबकि अब तो कानून और भी ज्यादा सख्त हो गए हैं, पेनाल्टी भी काफी बढ़ गई है, बावजूद सड़क दुर्घटनाओं में ज्यादा असर नहीं पड़ा है। सरकार की तरफ से सड़क परिवहन को लेकर समय-समय पर सूचनाएं और जागरुकता का कार्यक्रम भी चलाता जाता है।
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