भारत के विकास के लिए तैयार किए जा रहे बजट को लेकर वित्त मंत्री राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठके कर रही हैं। आज के बैठक में कई महत्वपुर्ण बातों पर चर्चा की गई। बजट पूर्व इस बैठक में राज्य के वित्त मंत्रियों ने और अधिक कोष मांग की है। साथ ही उन्होंने केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) को लागू करने में उनकी भूमिका बढ़ाने और खनिजों पर रॉयल्टी के भुगतान में वृद्धि की भी मांग की।
अगले साल पेश होगा बजट
अगले साल एक फरवरी को पेश होने वाले वित्त वर्ष 2023-24 के बजट पर विचार जानने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बुलाई गई बैठक में राज्यों ने कई मुद्दों को उठाया। तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी थियागा राजन ने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाएं राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को बाधित कर रही हैं और कुछ योजनाओं में राज्य बड़ी राशि का योगदान करते हैं जो केंद्र के योगदान या हिस्सेदारी से अधिक है।
सीएसएस लागू करने की मांग
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सभी राज्यों ने चाहे वहां सरकार किसी भी दल की क्यों न हो, इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि राज्यों की वित्तीय निर्भरता केंद्र प्रायोजित योजनाओं से काफी हद तक बाधित है।’’ राज्यों की मांग है कि उन्हें सीएसएस लागू करने में अधिक भूमिका के साथ लचीलापन भी होना चाहिए। बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं को सीमित किया जाना चाहिए। इन योजनाओं से राज्यों पर बोझ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र राज्यों की मदद करना चाहता है तो उसे केवल केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं को लागू करना चाहिए।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कही ये बात
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने कहा कि उन्होंने राज्यों को दी जाने वाली पूंजीगत सहायता में वृद्धि की मांग की है। साथ ही एक ऐसी प्रणाली तैयार करने के लिए भी कहा है, जिसे सीधा जनसंख्या के साथ जोड़ा जाए। आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री एम बी राजेंद्रनाथ रेड्डी ने कहा कि उन्होंने पूंजीगत व्यय के लिए विशेष सहायता मांगी है। रेड्डी ने कहा कि हमने मांग की है कि राज्य के समर्थन वाली नई परियोजनाओं को हरित बॉन्ड वित्तपोषण योजना में शामिल किया जाए। वहीं, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में बेहतर सड़क, रेल, हवाई संपर्क की मांग की है।
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