भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की ओर से एबीएफसी- एमएफआई (नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन) कंपनियों को ब्याज दरों को लेकर चेतावनी दी है। उनकी ओर से एनबीएफसी कंपनियों से ब्याज दर निर्धारण के लिए बनाए गए लचीले सिस्टम का सही तरीके से उपयोग करने के लिए कहा गया है। साथ ही सलाह दी गई कि ब्याज दर निर्धारण करत समय लोन लेने वाले की क्षमता का भी आकलन करें।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट में बताया गया कि उद्योग मंडल फिक्की और भारतीय बैंक संघ के संयुक्त रूप से आयोजित सालाना एफआई-बीएसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर की ओर से कहा गया कि ब्याज दरों को नियमन के दायरे से मुक्त कर दिया है। इस कारण कई एनबीएफसी अधिक ब्याज मार्जिन का फायदा उठा रहे हैं, लेकिन माइक्रो फाइनेंस कंपनियों को कर्जदाताओं के लिए स्वयं सुनिश्चित करना है कि ब्याज दरों को निर्धारित करने में उन्हें प्रदान किए गए लचीलेपन का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से किया जाए। बता दें, दास का बयान ऐसे समय पर आया है जब कई माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की ओर से अधिक ब्याज दर मार्जिन रिपोर्ट किए जा रहे थे।
माइक्रो फाइनेंस की वित्तीय समावेशन में अहम भूमिका
आरबीआई गवर्नर की ओर से माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के लेकर कहा गया कि इनकी वित्तीय समावेशन में बहुत अहम भूमिका है। ये संस्थान हाशिए पर खड़े लोगों को कर्ज देते हैं।यह क्षेत्र वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय माध्यम के रूप में उभरा है।
आरबीआई गवर्नर ने दी सलाह
दास ने एमएफआई कंपनियों को सलाह दी कि ब्याज दर निर्धारित करते समय कर्ज लेने वालों के सामर्थ्य और पुनर्भुगतान क्षमता को ध्यान में रखें। उनकी क्षमता के मुताबिक की ब्याज दर तय की जाए।
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