जम्मू-कश्मीर में मशरूम की खेती में लगे किसान केंद्र शासित प्रदेश में व्यावसायिक खेती के लिए सबसे महंगे मशरूम में से एक ‘शिताके’ की पेशकश की सरकार की घोषणा से उत्साहित हैं। जापानी मूल के इस मशरूम किस्म की खेती के सफल खेत परीक्षण के बाद कृषि विभाग सितंबर में ‘शिताके’ मशरूम की व्यावसायिक खेती की शुरुआत करेगा।
मशरूम किसान राहुल शर्मा ने कहा, ‘‘हम खुश हैं। मैंने सुना है कि इसे सितंबर में (व्यावसायिक खेती के लिए) शुरू किया जा रहा है। हम इसे अपनायेंगे।’’ शर्मा ने कहा कि यह हरियाणा जैसे राज्यों में उगाया जाता है, लेकिन अब इसे जम्मू में पहली बार उगाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘इसकी लागत और बाजार मूल्य बहुत अच्छा है। किसानों को काफी हद तक फायदा होगा। जम्मू-कश्मीर के लिए श्शिताकेश् मशरूम की खेती करना अच्छा रहेगा, क्योंकि आप उपयुक्त जलवायु के कारण इसे कहीं भी उगा सकते हैं।’’
‘शिताके’ मशरूम (लेंटिनस एडोड्स), मूल रूप से जापान की उपज है। इसमें लेंटिनन नामक रसायन होता है, जिसका उपयोग कुछ चिकित्सा पेशेवर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए करते हैं। इसे जम्मू-कश्मीर में मशरूम की खेती के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
शर्मा ने कहा, ‘‘ताजा मशरूम बाजार में 1,500 रुपये प्रति किलो बिकता है। अगर हम इसे सुखाते हैं, तो यह बाजार में 15,000 रुपये प्रति किलो बिकता है। शिताके मशरूम की शुरुआत के साथ 2,500 से अधिक मशरूम किसानों को इसकी खेती से सीधे लाभ होगा।’’ मशरूम की तीन किस्में - बटन, डिंगरी और मिल्की मशरूम उगाने के अलावा उनकी खेती को विविधतापूर्ण बनाया जाएगा। चौथा, शियाटेक मशरूम पेश किया जाएगा। यह फसल के साथ-साथ कृषि प्रणाली में विविधता लाएगा। उन्होंने कहा कि इससे सभी को यहां तक कि छोटे मशरूम उत्पादकों को भी आर्थिक रूप से लाभ होगा।
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