नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने बुधवार को कहा कि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में कदम बढ़ा रहा भारत प्रौद्योगिकी उन्नयन के दम पर दुनिया में ऊर्जा का नया अगुवा बन सकता है। साथ ही भारत अगले दो दशक में 500 अरब डॉलर मूल्य की हरित ऊर्जा का निर्यात करने की स्थिति में पहुंच जाएगा।
रातोरात नहीं हो सकता है बदलाव
अंबानी ने कहा कि भारत आज नवीकरणीय ऊर्जा निवेश के नजरिये से दुनिया की सर्वाधिक आकर्षक जगहों में से एक है। हालांकि, उन्होंने कहा कि स्वच्छ एवं उत्सर्जन-मुक्त ऊर्जा की तरफ कदम बढ़ाने का काम रातोरात नहीं हो सकता है और कोयला एवं आयातित तेल पर भारत की निर्भरता अगले दो-तीन दशकों तक बनी रहेगी। रिलायंस समूह की कंपनियों में भी स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की तरफ बढ़ा रहे अंबानी ने कहा, अगले दो-तीन दशकों में उत्सर्जन खत्म करने के लिए हमारे पास योजना होनी चाहिए। इस तरह हमें निकट भविष्य और मध्यम अवधि में निम्न-कार्बन और शून्य-कार्बन वाली रणनीतियों पर काम करना होगा। अंबानी ने ‘एशियन इकनॉमिक डायलॉग’ में शिरकत करते हुए कहा कि नवीन एवं स्वच्छ ऊर्जा की लागत को कम करने में प्रौद्योगिकी अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि ऊर्जा अंतरण ही 21वीं सदी में भू-राजनीतिक बदलाव को निर्धारित करेगा।
चीन को पीछे छोड़ भारत आगे निकला
अंबानी ने कहा, लकड़ी की जगह कोयले का इस्तेमाल बढ़ने पर भारत और चीन को पछाड़कर यूरोप वैश्विक स्तर पर सबसे आगे निकल गया था। उसी तरह तेल के आने से अमेरिका एवं पश्चिम एशिया साथ-साथ बढ़े। जब भारत स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनने के साथ इसका एक बड़ा निर्यातक भी हो जाएगा तो वह एक वैश्विक ताकत के रूप में उभरेगा।रिलायंस समूह के प्रमुख ने कहा कि इस ऊर्जा अंतरण की प्रक्रिया में हरित रोजगार पैदा होने के साथ ही बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी। भारत इस समय अपनी तेल एवं कोयला जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात करता है।
अगले 20 वर्षों में बड़ा बदलाव दिखेगा
उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में भारत का उदय एक आईटी महाशक्ति के रूप में हुआ है लेकिन अगले 20 वर्षों में यह ऊर्जा एवं जीवन विज्ञानों में एक महाशक्ति के तौर पर उभरकर सामने आएगा। उन्होंने कहा, मुझे तनिक भी संदेह नहीं है कि भारत दुनिया की एक नयी ऊर्जा ताकत बन सकता है। अंबानी ने कहा कि भारत आने वाले समय में न केवल ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होगा बल्कि वह हरित ऊर्जा का निर्यात भी करेगा। उन्होंने कहा, भारत का प्रौद्योगिकी एवं डिजिटल निर्यात 150 अरब डॉलर हो चुका है और 2030 तक इसके 500 अरब डॉलर से ज्यादा हो जाने की उम्मीद है।
500 गीगावॉट ग्रीन एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य
इसी तरह भारत के स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा निर्यात के भी अगले 20 वर्षों में 500 अरब डॉलर पर पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा, मेरा अनुमान है कि अगले 10-20 वर्षों में ऊर्जा एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कम-से-कम 20-30 नई भारतीय कंपनियां रिलायंस जितनी बड़ी होंगी। उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति से ऊर्जा किफायती हो सकेगी। भारत ने 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
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