|नलाइन टिकट चाहे ट्रेन की, मूवी की या किसी भी चीज के लिए हो, बुक ( online ticket booking) कराना तो सुविधाजनक है, लेकिन इस पर लगने वाले बहुत ज्यादा कन्वेनिएंस चार्ज (convenience fees) से ज्यादातर भारतीय दुखी हैं। कुछ मामलों में यह लेनदेन मूल्य के 20 प्रतिशत तक होता है। एक लेटेस्ट सर्वे में यह सामने आया है कि 79 प्रतिशत लोग इस फीस से तंग हैं। इसमें 38 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनसे ज्यादातर सर्विस के लिए सुविधा शुल्क लिया गया है। करीब 83 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने अनिच्छा से कन्वेनिएंस चार्ज का पेमेंट किया है।
कन्वेनिएंस चार्ज डिजिटल इंडिया के रास्ते में रोड़ा
खबर के मुताबिक,सर्वेक्षण में पाया गया कि 79 प्रतिशत उपभोक्ता ऐसे ऑनलाइन सर्विस प्लेटफॉर्म द्वारा लगाए जाने वाले अत्यधिक सुविधा शुल्क/सेवा शुल्क/इंटरनेट हैंडलिंग शुल्क (convenience fees) से से तंग आ चुके हैं। उनका मानना है कि यह डिजिटल इंडिया के रास्ते में आ रहा है। आज ज्यादातर लोग ऑनलाइन सर्विस/टिकट खरीद रहे हैं। बिजनेस टुडे की खबर के मुताबिक,सर्वे में जवाब देने वालों में 64 प्रतिशत पुरुष और 36 प्रतिशत महिलाएं थीं। इसके अलावा, 46 प्रतिशत उत्तरदाता टीयर 1 शहरों से, 32 प्रतिशत टीयर 2 से और 22 प्रतिशत टीयर 3, 4 और ग्रामीण जिलों से थे।
21 अप्रैल, 2022 को जारी नोटिफिकेश
भारतीय रिजर्व बैंक के 21 अप्रैल, 2022 को जारी नोटिफिकेश के मुताबिक, कन्वेनिएंस फीस (convenience fees) पेमेंट के वैकल्पिक रूपों में से एक के रूप में क्रेडिट/डेबिट कार्ड के उपयोग पर एक निश्चित या आनुपातिक शुल्क है जिसे आम तौर पर स्वीकार नहीं किया जाता है। ज्यादातर प्लेटफ़ॉर्म पूरे लेनदेन के लिए एक शुल्क के उलट बुक की गई सीटों की संख्या के मुताबिक यह कन्वेनिएंस चार्ज (convenience fees) से लेते हैं, इसलिए एक ट्रांजैक्शन में एक साथ खरीदे गए चार मूवी टिकटों के लिए, उपभोक्ता चार सीटों में से हर एक पर कन्वेनिएंस चार्ज का भुगतान करता है
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