अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बुरी खबर, मूडीज ने भारत का क्रेडिट आउटलुक किया ‘स्टेबल’ से ‘नेगेटिव’
मूडीज के अनुसार, भारत समेत 13 देशों को अगले साल अपने सरकारी राजस्व का 20 प्रतिशत से अधिक कर्ज की अदायगी के लिये खर्च करना होगा।
कोरोना की रिकवरी के बीच युद्ध, महंगाई और मंदी से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हैं। इस बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आज एक परेशानी वाली खबर आई है। दुनिया की प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मंगलवार को 2023 के लिये वैश्विक स्तर पर देशों को साख को लेकर ‘नकारात्मक परिदृश्य’ दिया। इससे पहले मूडीज ने भारत को स्टेबल श्रेणी में रखा था। भारत सहित दुनिया की 13 अन्य अर्थव्यवस्थाओं को भारत की तरह ही नेगेटिव श्रेणी में रखा गया है।
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि खाद्य पदार्थों और ऊर्जा के दाम बढ़ने से आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी और सामाजिक तनाव बढ़ेगा। रेटिंग एजेंसी के अनुसार, वित्तीय स्थिति तंग होने और आर्थिक झटकों से हुए नुकसान से कुछ कर्ज का बोझ बढ़ेगा और प्रबंधन योग्य स्तर पर नहीं होगा। साथ ही कर्ज लागत बढ़ने से ऋण वहन करने की क्षमता प्रभावित होगी।
कमाई का 20 प्रतिशत कर्ज अदायगी में होगा खर्च
मूडीज के अनुसार, भारत समेत 13 देशों को अगले साल अपने सरकारी राजस्व का 20 प्रतिशत से अधिक कर्ज की अदायगी के लिये खर्च करना होगा। उसने कहा कि एक तरफ कर्जदाताओं को ऋण अदायगी और दूसरी तरफ सामाजिक तथा आर्थिक विकास को लेकर आबादी की आकांक्षाओं को पूरा करने के बीच भ्रम की स्थिति बढ़ेगी। इसका कारण सरकार को ब्याज भुगतान के लिये अपने बढ़ते राजस्व का हिस्से का उपयोग करना होगा।
खाने पीने की महंगाई 2023 में भी तोड़ेगी कमर
मूडीज ने कहा, ‘‘वर्ष 2023 के लिये सरकारी साख को लेकर हमारा परिदृश्य नकारात्मक है। हालांकि, मुद्रास्फीति में गिरावट आनी शुरू होगी, पर खाने के सामान और ऊर्जा के दाम ऊंचे होंगे। इससे आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी और सामाजिक तनाव बढ़ेगा।’’ वैश्विक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि 2023 में धीमी पड़कर 1.7 प्रतिशत होने का अनुमान है जो 2022 में तीन प्रतिशत रहेगी। उच्च कीमत और तंग मौद्रिक नीति से ग्राहकों के खर्च, निवेश और आर्थिक धारणा प्रभावित होती है।
एशिया की पर्फोर्मेंस रहेगी बेहतर
मूडीज के अनुसार, एशिया का प्रदर्शन अन्य क्षेत्रों से बेहतर होगा। भारत जैसे बड़े एशियाई देशों की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत से अधिक होगी क्योंकि घरेलू खपत, निवेश और पर्यटन सामान्य स्तर पर लौट रहा है। रेटिंग एजेंसी ने पिछले सप्ताह 2023-24 के लिये वैश्विक वृहत आर्थिक परिदृश्य में कहा था कि वैश्विक वृद्धि 2023 में धीमी पड़ेगी और 2024 में भी इसमें सुस्ती रह सकती है।