Money Management Tips: सालों से ये कहावत चली आ रही है कि जितनी चादर हो उतने ही पांव फैलाने चाहिए। असल में कहें तो यह मात्र कहावत ही नहीं बल्कि वित्तीय जगत का सबसे बड़ा मंत्र भी है। इस कहावत के बारे में लगभग लोगों को पता होता है, लेकिन वे करते अक्सर इसके उलट हैं। कई बार खर्च करते वक्त हमारे दिमाग में ये ख्याल आता है कि कमा किस लिए रहे हैं? जिंदगी तो सिर्फ एक बार मिली है, खुल कर खर्च करते हैं। मस्ती करते हैं, पार्टी करते हैं, दोस्तों के साथ कहीं दूर घुम कर आते हैं। बस यहीं से कर्ज के तले डुबने की शुरुआत हो जाती है। फिर जब भविष्य में कभी कोई परेशानी आती है और पैसों की जरूरत पड़ती है तो अकाउंट में सेविंग (Saving) के नाम पर जीरो अमाउंट (Zero Amount) होता है। अगर आपसे हम कहें कि सारी मस्ती, मजाक और पार्टी करने के बाद भी 50, 30, 20 के फॉर्मूले को फॉलो कर सेविंग कर सकते हैं तो आप एक बार के लिए सोच में पड़ जाएंगे।
क्या है 50, 30 और 20 वाला नियम
दरअसल, व्यक्ति जब पैसा कमाना शुरू कर देता है तो खर्चे भी उसी हिसाब से होने लगते हैं। कई बार तो व्यक्ति सही मैनेजमेंट नहीं कर पाने के चलते पैसों की तंगी से जूझने लगता है। ऐसे में उसे 50, 30 और 20 वाले नियम को फॉलो करना चाहिए। इसका मतलब होता है कि व्यक्ति को अपने सैलरी के तीन हिस्से कर देने चाहिए। 50 फीसदी, 30 फीसदी और 20 फीसदी। वह 50 फीसदी सैलरी अमाउंट को अपने जरूरतों यानि खाने-पीने, घर-परिवार के लिए खर्च कर सकता है। दूसरे हिस्से यानि 30 फीसदी राशि को अपना शौक पूरा करने, परिवार को फिल्म दिखाने या कहीं घूमने आदि के लिए इस्तेमाल में ला सकता है। वहीं बाकि के बचे 20 फीसदी अमाउंट की सेविंग कर सकता है। अगर हर महीने कोई व्यक्ति अपने सैलरी से मात्र 20 फीसदी राशि भी बचा लेता है तो एक साल में उसके अकाउंट में ठीक-ठाक पैसा हो जाएगा। इसका इस्तेमाल वह अपने भविष्य में अचानक से आए संकट से बचने में कर सकता है।
उदाहरण से समझिए
मान लीजिए आपकी सैलरी 1 लाख रुपये प्रति महीना है। आप उसमें से 50 हजार रुपये यानि 50% पैसा अपने हर महीने होने वाले खर्चे में लगा सकते हैं और 30% यानि 30 हजार रुपये अपने शौक पूरे करने में खर्च कर सकते हैं। बाकि के बचे 20 हजार रुपये की सेविंग कर सकते हैं। अगर आप लगातर एक साल तक प्रति महीने 20 हजार रुपये सेव करते हैं तो आप एक साल में करीब 2 लाख 40 हजार रुपये तक बचा लेंगे। यह पैसा आपके संकट के समय में काम आएगा।
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