रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनातनी आपकी जेब पर बुरा असर डालती दिख रही है। गुरुवार को रूसी हमले की खबर आते ही शेयर बाजार धड़ाम हो गया। कच्चा तेल भी 100 डॉलर के स्तर को पार कर 104 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया। इतना ही नहीं वैश्विक दबाव के आगे भारतीय रुपया भी भरभरा कर गिर गया। आज रुपये में डॉलर के मुकाबले 102 पैसे की भारी गिरावट आई है।
भारत भले ही रूस यूक्रेन से सैकड़ों मील दूर हो, लेकिन इस वैश्विक तबाही से आपकी जेब भी अछूती नहीं रहेगी। भारत तेल से लेकर जरूरी मशीनरी ही नहीं मोबाइल लैपटॉप जैसे गैजेट्स के लिए दूसरे देशों से आयात पर निर्भर है। रुपये में भारी गिरावट से देश से देश में आयात महंगा हो जाएगा। ऐसे में देश में हमारी जेब का छलनी होना आने वाले वक्त में तय है।
मोबाइल लैपटॉप की कीमतों पर असर
भारत अधिकतर मोबाइल और अन्य गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता है। विदेश से आयात के लिए अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। विदेशों से आयात होने के कारण अब इनकी कीमतें बढ़नी तय मानी जा रही है। भारत में अधिकतर मोबाइल की असेंबलिंग होती है। ऐसे में मेड इन इंडिया का दावा करने वाले गैजेट पर भी महंगे आयात की मार पड़ेगी।
आपकी जेब में एक और महंगाई का छेद
रुपये की कमजोरी से सीधा असर आपकी जेब पर होगा। आवश्यक सामानों की कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। अमेरिकी डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी। इसका सीधा असर हर जरूरत की चीज की महंगाई पर होगा।
विदेश में पढ़ना महंगा
इसका असर विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर रुपये की कमजोरी का खासा असर पड़ेगा। इसके चलते उनका खर्च बढ़ जाएगा। वे अपने साथ जो रुपये लेकर जाएंगे उसके बदले उन्हें कम डॉलर मिलेंगे। वहीं उन्हें चीजों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके अलावा विदेश यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
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